कनरसिया के कानों के भी तंभ तंबूरे --
मनभावन सुर-तालों को अब बेढब घूरे ||
कनकैया-कनकौवा का कर काँचा माँझा
गगन-पुष्प की खातिर मानव भटके-झूरे ।।
युवा मनाकर आठ पर्व को नौ-नौ बारी
भूली - बिसरी परम्पराएँ अपनी तूरे ||
नैतिकता के नए बनाए मानक अपने -
भोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे ||
व्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
नैतिकता के नए बनाए मानक अपने -
भोग-विलासी जीवन के हित पागल पूरे ||
व्यस्त जमाने के पहलू में ऊँघे बच्चा
कैसे पूरे हों बप्पा के ख़्वाब अधूरे ||
bahut sundar....
ReplyDeletekunwar ji,
wah!
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