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Thursday, 3 May 2012

तीन-पांच पैंतीस, रात छत्तिस हो जाती-

पाठ पढ़ाती पत्नियाँ, घरी घरी हर जाम   |
बीबी हो गर शिक्षिका,  घर कक्षा  इक्जाम | 
 
घर कक्षा इक्जाम, दृष्टि पैनी वो राखे |
गर्दन करदे जाम, जाम रविकर कस चाखे  |

तीन-पांच पैंतीस, रात *छत्तिस हो जाती |
पति तेरह ना तीन, शिक्षिका पाठ पढ़ाती ||

*३६

7 comments:

  1. एक तो करेला दूजे नीम चढा....!

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  2. सच में - 'दुखवा मैं कासे कहूँ' वाली स्थिति - सहानुभूति स्वीकार करें !

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  3. काका की याद आ गई शर्मा जी याद आये,
    रविकर पत्नी पुराण से वे दिन वापस आये!!

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  4. उल्लू ने जब बहुत दिमाग लगाया
    दूसरे दिन उसके 36 समझ में आया ।

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  5. lol
    beautifully explained

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  6. तो मतलब शिक्षक पत्नी न हो ...

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  7. चलो अच्छा है मेरी पत्नी शिक्षक नहीं है मैं खुद शिक्षक हूँ

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