दस शिक्षक के तुल्य है, इक आचार्य महान |
सौ आचार्यों से बड़ा, पिता तुम्हारा जान || |
सदा हजारों गुना है, इक माता
का ज्ञान |
शिक्षा शाश्वत सर्वथा, सर्वोत्तम वरदान || |
गार्गी मैत्रेयी सरिस, आचार्या कहलांय |
गुरु पत्नी आचार्यिनी, कही सदा ही जाँय || |
कात्यायन की वर्तिका, में सीधा उल्लेख |
महिला लिखती व्याकरण, श्रेष्ठ प्रभावी लेख || |
महिला शिक्षा पर करे, जो भी खड़े सवाल |
पढ़े पतंजलि-ग्रन्थ जब, मिटे ग्रंथि जंजाल || |
उत्तम कविता। --
ReplyDeleteबिलकुल सच बात कही है!
ReplyDeleteशिक्षाप्रद उत्तम दोहे!
ReplyDeleteसझा करने के लि्ए
आभार!
आदरणीय रविकर जी आप के इन शिक्षा प्रद दोहों का जबाब नहीं काश लोग मन से इसे अपनाएँ परखें ...बधाई
ReplyDeleteभ्रमर 5
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteस्त्री है संजीवनी,
ReplyDeleteशिक्षा ले गर पाय
क्यों झूठी मुस्कान से,
पिसे अभागन हाय
नारी शिक्षा पे एक सटीक काव्यात्मक विमर्श .बधाई .
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