सात अरब लोगों का बोझ, अलग दूसरी दुनिया खोज |
हुआ यहाँ का चक्का जाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 1 !
सिमटे वन घटते संसाधन, अटक गया राशन उत्पादन |
बढ़ते रहते हर दिन दाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 2|
बढे मरुस्थल बाढ़े ताप, धरती सहती मानव पाप |
अब भूकंपन आठों-याम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 3 !
हिमनद मिटे घटेगा पानी, कही बवंडर की मनमानी |
करे सुनामी काम-तमाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 4 !
जीव - जंतु के कई प्रकार, रहा प्रदूषण उनको मार |
दोहन शोषण से कुहराम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 5 !
जहर कीटनाशक का फैले, नाले-नदी-शिखर-तट मैले |
सूक्ष्म तरंगें भी बदनाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 6 !
मारक गैसों की भरमार, करते बम क्षण में संहार |
जला रहा जहरीला घाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 7 !
मानव - अंगों का व्यापार, सत्संगो का सारोकार|
बिगढ़ै पावन तीरथ धाम, बचा लो धरती, मेरे राम ! 8 !
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ReplyDeleteराम को ही समझाना पड़ेगा
ReplyDeleteउसे जय श्री राम होने से
तो किसी को बचाना पड़ेगा ।
कल 23/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
अद्भुत महिमा माई की रविकर जी दिखलाये,
ReplyDeleteहम भी श्रद्धा से झुके, माँ को शीश नवाए!
विशुद्ध पर्यावरणीय साहित्यिक रचना....आभार !
ReplyDeleteधरती हमारी माता है,
ReplyDeleteसबकी जीवनदाता है।।
टूटते पारितंत्र बेजान होते पर्यावरण की टोह लेती हरारत नापती बड़ी ही सार्थक ,गेय ,मार्मिक और सांगीतिक रचना है -बचालो धरती मेरे राम ,मनमोहन करते आराम ,....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-851 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसादर!
राम ने तो सब को सद्द्बुधि बांटी थी इतनी सुन्दर धरा दी थी रहने के लिए पर हाय रे मानव के कर्म उस बुद्धि का दुरूपयोग किया अब भुगतना तो पड़ेगा ही ...आपने अपनी रचना में सभी कुछ कह दिया ...इस उत्कृष्ठ रचना के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteधरती माँ को सहेजना ही होगा .....
ReplyDeleteपृथवि दिवस पर सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रदूषित होती धरती के प्रति सचेत करती सुन्दर सार्थक रचना के आभार!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी को बचाने के
ReplyDeleteलिए आपका यह सन्देश अनमोल है|धन्यवाद रविकर जी