कामकाज में लीन है, सुध अपनी विसराय |
उत्तम प्राकृत मनुज की, ईश्वर सदा सहाय ||
कामगार की जिन्दगी, खटता बिन तकरार |
थोथे में ढूंढे ख़ुशी, मालिक का आभार ||
कामचोर कायल करे, कहीं कायली नाँय |
दूजे के श्रम पर जिए, सोय-सोय मर जाय ||
दूजे के श्रम पर जिए, सोय-सोय मर जाय ||
डूबे और डुबाय दें, ज्यों टूटे तट-बाँध ||
कामध्वज की जिन्दगी, त्याग नीर का नेह |
क्षुधित जगत पर मर मिटे, पर-हित धारी देह ||
पेटू कामाशन चहे, कामतरू के तीर |
भोजन के ही वास्ते, धारा तोंद - शरीर ||