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Thursday, 28 February 2013

लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर-


 उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट । 
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट ।  

खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब । 
मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस । 

लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर । 
मंहगाई-कर जोड़,  छुवें दोनों  उच्चस्तर ॥ 


सकल घरेलू प्रोडक्शन, हुआ फीसदी सात ।
झेलें नेता माफिया, अभिनेता आघात । 

अभिनेता आघात, बूझते कारस्तानी ।
ये किसान मजदूर, करे हैं नित बेइमानी ।

मेरी सौ की ग्रोथ, बुराई मैं क्यूँ झेलूं ।
निन्यान्नावे ये लोग, गिराते सकल घरेलू ।।

सिली सिलिंडर सनसनी, मेहरबान मक्कार  |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार
सरकार |

अब प्रचार
सरकार, पुरातन भोजन भूलो |
पाक कला त्यौहार, भूल कर केक कुबूलो |

फास्ट फूड भरमार, तरीके नए सोचिये |
पाई फुर्सत नारि, सतत अब नहीं कोंचिये ||


गैस सिलिंडर चलेगा पूरे दो महीने : है न उपाय-

 दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
पाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा । 
चाय बना इक बार, डालिए  हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।


आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो  ।।

मा मू ली   बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम,  किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट,  बने  मुश्किल  मामूली ।

आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -

चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त । 
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।

तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।

*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।

बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई

बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।

उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।

गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।
 

Wednesday, 27 February 2013

खंड्पूरी खंडरा ख़तम, खखरा खेले फाग-

खोया खील खमीर खस, खंडसारी खटराग |
खंड्पूरी खंडरा ख़तम, खखरा खेले फाग |

(चन्द्र-विन्दु हैं)
खखरा खेले फाग, खाय खाँटी मंहगाई  |
घर घर *रागविवाद, टैक्स-दानव मुस्काई |
*झगडा 
खुद का सारोकार, पर्व त्यौहार विलोया  ||
ठगे गए हैं आम, स्वाद जीवन का खोया ||
खोया = दूध से तैयार मावा
खील = भुना हुआ धान / लावा
खमीर = मिठाई बनाने में प्रयुक्त होता है-खट्टा पदार्थ खस= सुगंधिंत जड़
खंडसारी = देशी चीनी
खटराग =व्यर्थ की वस्तुवें / सामग्री
खंड्पूरी = मेवा और शक्कर भरी पूरी
खंडरा = बेसन से बना तेल में छाना हुआ पकवान
खखरा = चावल बनाने का बड़ा पात्र / छिद्रमय

नोट: "खट राग" दो बार आया है-

Tuesday, 26 February 2013

नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा-

सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |

(भाजपा की ओर इशारा)


 लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | 
 खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम) 

हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
 नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||

(माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन नइखे= नहीं 

Friday, 22 February 2013

मृदा चिकित्सा मूल, करो ना किंचित हड़-बड़-

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-23

सुंदरी सवैया 
बलुई कलकी ललकी पिलकी जल-ओढ़ सजी लटरा मुलतानी ।
मकु शुष्क मिले कुछ गील सने तल कीचड़ पर्वत धुर पठरानी ।
कुल जीव बने सिर धूल चढ़े, शुभ *पीठ तजे, मनुवा मनमानी ।
मटियावत नीति मिटावत मीत, हुआ *मटिया नहिं पावत पानी ||
*देवस्थान / आसन                       *लाश


कुंडलिया 
गीली ठंडी शुष्क मकु, मिटटी *मिट्ठी मीठ |
मिटटी के पुतले समझ, मिटटी ही शुभ पीठ |
मिटटी ही शुभ पीठ, ढीठ काया की गड़बड़ |
मृदा चिकित्सा मूल, करो ना किंचित हड़-बड़ |
त्वचा दोष ज्वर दर्द, देह पड़ जाए पीली |
मिटटी विविध प्रकार, लगा दे पट्टी गीली ||

Thursday, 21 February 2013

मिल रहा मौका जरा बाजा बजा दो-

आज पूरे प्यार से साजन सजा दो ।
उस सुनहरे ख़्वाब का पूरा पता दो ।।

रात-दिन छलती रही कोरी किताबें -
चिट्ठियां उनपर सटा के तो मजा दो ।।

 तंत्र रक्षा का गया अब तेल लेने -
हर घुटाले में विपक्षी को फँसा दो ।।  

लालटेनों की ख़तम बाती हुई तो 
काट नारे को फटाफट लो जला दो ।।

रोज उम्मीदे लगा कर लेट जाते 
मिल रहा मौका जरा बाजा बजा दो । ।

Tuesday, 19 February 2013

सकल देह जलजाय, अजब प्रेमी वैरागी-

 1
रागी है यह मन मिरा, तिरा बिना पतवार |
इत-उत भटके सिरफिरा, देता बुद्धि नकार |
देता बुद्धि नकार, स्वार्थी सोलह आने |
करे झूठ स्वीकार, बनाए बड़े बहाने |
विरह-अग्नि दहकाय, लगन प्रियतम से लागी |
सकल देह जलजाय, अजब प्रेमी वैरागी ||
 
 2
  तेरी मुरली चैन से, रोते हैं इत नैन । 
विरह अग्नि रह रह हरे, *हहर हिया हत चैन । 
*हहर हिया हत चैन, निकसते बैन अटपटे । 
बीते ना यह रैन, जरा सी आहट खटके । 
दे मुरली तू भेज, सेज पर सोये मेरी । 
सकूँ तड़पते देख, याद में रविकर तेरी ॥ 
*थर्राहट

Monday, 18 February 2013

इटली का व्यापार, लगा अब नहीं छुपाने -

नहीं छुपाने को बचा, कुछ भी मौनी पास । 
बेमतलब हुडदंग है, चॉपर उड़ आकाश । 

चॉपर उड़ आकाश, पोल सारी ही खोले ।  
सारा अखराजात, जांच एजेंसी ढोले । 

हैं मामे बदजात, लगे हैं बहुत सताने । 
इटली का व्यापार, लगा अब नहीं छुपाने । 

राजनैतिक कुण्डलिया : रहे "मुखर-जी" सदा ही, नहीं रहे मन मौन

रविकर
रहे "मुखर-जी" सदा ही, नहीं रहे मन मौन ।
आतंकी फांसी चढ़े, होय दुष्टता *दौन ।
होय दुष्टता *दौन, फटाफट करे फैसले ।
तभी सकेंगे रोक, सदन पर होते हमले ।
कायरता की देन, दिखा सत्ता खुदगर्जी ।
बना "सॉफ्ट-स्टेट",  सॉफ्ट ना रहे "मुखर्जी"।।
*दमन

Saturday, 16 February 2013

चॉपर अब तो तोपें कल । पश्चिम से होती हलचल ।।


 
पश्चिम से होती हलचल ।
ताप गिरे दिन-रात का, ठंडी बहे बयार ।
ओले पत्थर गिर रहे, बारिस देती मार ।।
सागर के मस्तक पर बल ।
पश्चिम में होती हलचल ।।

शीत-युद्ध सीमांतरी, हो जाता है गर्म ।
चलते गोले गोलियां, शत्रु छेदता मर्म ।।
 काटे सर करके वह छल ।
पश्चिम में होती हलचल ।।

उड़न खटोला चाहिए, सत्ता मद में चूर ।
बटे दलाली खौफ बिन, खरीदार मगरूर ।
चॉपर अब तो तोपें कल ।
पश्चिम से होती हलचल ।।

भोगवाद अब जीतता, रीते रीति-रिवाज ।
विज्ञापन से जी रहे, लुटे हर जगह लाज ।
पीते घी ओढ़े कम्बल ।
पश्चिम में होती हलचल ।।

 परम्पराएँ तोड़ता, फिर भी दकियानूस ।
तन पूरब का ढो रहा, पश्चिम मन मनहूस । 
बदले मानव अब पल पल ।
पश्चिम में होती हलचल ।।
 

Friday, 15 February 2013

जिनकी चाकरी नहीं पक्की -




1
ठीका पर बहाल करते हैं।
गाँधी को निहाल करते हैं ।।
मनरेगा-हाथ में ठेंगा 
 करते ठीक-ठाक आमदनी -
 मिहनत बेमिसाल करते हैं ।।

देशी का सुरूर चढ़ जाता -
ठीका पर बवाल करते हैं ।।
 
जिनकी चाकरी नहीं पक्की -
 वो भी पाँच साल करते हैं  ।

तू लाखों कमा कमीशन जब
कारीगर कमाल करते हैं ।।

फोड़ें ठीकरा विफलता का
उनपर सवाल करते हैं ।

कारिन्दे बटोरते दौलत-
 दरबारी मलाल करते है ।

जनता जूझती रहे जब-तब
वे जलसे-बवाल करते हैं ।।

 2
पाप का भर के घडा ले हाथ पर,
पार्टी निश्चय टिकट दे हाथ पर।।
शौक से दुनिया दलाली खा रही- 
हाथ धर कर बैठ मत यूं हाथ पर । ।

जब धरा पे है बची बंजर जमीं--
बीज सरसों का उगा ले हाथ पर ।।

हाथ पत्थर के तले जो दब गया, 
हाथ जोड़ो पैर हाथों हाथ पर  
देख हथकंडा अजब रविकर डरा
*हाथ-लेवा हाथ रख दी हाथ पर ।।
*पाणिग्रहण 

शौक से दुनिया दलाली खा रही-

पाप का भर के घडा ले हाथ पर,
पार्टी निश्चय टिकट दे हाथ पर।।
 
शौक से दुनिया दलाली खा रही- 
हाथ धर कर बैठ मत यूं हाथ पर । ।

जब धरा पे है बची बंजर जमीं--
बीज सरसों का उगा ले हाथ पर ।।

हाथ पत्थर के तले जो दब गया, 
हाथ जोड़ो पैर हाथों हाथ पर  

देख हथकंडा अजब रविकर डरा
*हाथ-लेवा हाथ रख दी हाथ पर ।।
*पाणिग्रहण 

Thursday, 14 February 2013

इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह-




 चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
दहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ |
दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर |
*वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर |
वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह |
इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह ||
*कन्या

 नखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||

 भैया मारे प्यार के, 'हग' मारे इंसान ।
चाकलेट दे रोज डे, देता वचन बयान ।
देता वचन बयान, मुहब्बत ना बलात हो ।
 दिखे प्यार ही प्यार, प्रेममय मुलाक़ात हो । 
कोना कोनी पार्क, चलो वन उपवन सैंया ।
जहाँ मिले ना शत्रु, नहीं बजरंगी भैया ।


 
 हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |


काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |


थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||  
 लिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग |
आलिंगी आली जले, आग लगाता  फाग ||

आलिंगी = आलिंगन करने वाला
आली = सखी 
चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |
लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |
मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |
कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |
बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |
मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||
  रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज |
रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज |

लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर |
चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर |

वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती |
ज्यों आलिंगन बद्ध,  टीम बजरंग सताती ||
 बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |

रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |

बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

खाए भंडे खार, भाड़ते प्यारी वेला ।।

वेला वेलंटाइनी,  नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल । 
Valentine's Day: Bajrang Dal apeals youths not to indulge in indecent acts in public places
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।

ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार,  भाड़ते प्यारी वेला ।।

Tuesday, 12 February 2013

थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन -





 हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |


काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |


थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||  

 लिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग |
आलिंगी आली जले, आग लगाता  फाग ||

आलिंगी = आलिंगन करने वाला
आली = सखी 

चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |
लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |
मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |
कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |
बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |
मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||

  रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज |
रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज |

लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर |
चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर |

वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती |
ज्यों आलिंगन बद्ध,  टीम बजरंग सताती ||

 बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |

रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |

बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

खाए भंडे खार, भाड़ते प्यारी वेला ।।

वेला वेलंटाइनी,  नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल । 
Valentine's Day: Bajrang Dal apeals youths not to indulge in indecent acts in public places
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।

ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार,  भाड़ते प्यारी वेला ।।

शुभकामना असीम, ब्लॉग पर पाऊँ माँ सी-

आदरणीय रश्मि प्रभा जी का जन्‍मदिन .... !!!!


सदा 
 SADA  

माँ सी पावन प्रभा यह, दे सँवार संसार |
शब्दों का रिश्ता मधुर, भावों की मनुहार |


भावों की मनुहार, रश्मियाँ शुद्ध कर रहीं |
नीति नियम आदर्श, देह में रोज भर रहीं |


रहे सदा ही स्वस्थ, अनुग्रह कर अविनाशी |
शुभकामना असीम, ब्लॉग पर पाऊँ माँ सी ||


अय्यासी यासीन की, श्री हाफिज के साथ-

Saturday, 9 February 2013

रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख छक्का(6) मन बहला-



 सत्तावन जो कर रहे,  जोड़ा बावन ताश ।
चौका (4) दे जन-पथ महल, *अट्ठा(8) पट्ठा पास । 

सत्तावन=ग्रुप ऑफ़ मिनिस--              अट्ठा= कूट-नैतिक सलाह---
पट्ठा =  जवान-लड़का              सिंह इज किंग 
अट्ठा(8) पट्ठा पास, किंग(K) पंजा(5) से दहला(10)
रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख 
छक्का(6) मन बहला ।   


नहला=ताजपोशी के लिए नहलाना 
  दुक्की(2) तिग्गी(3)ट्रम्प, हिला ना *पाया-पत्ता ।
खड़ा ताश का महल, चढ़े इक्के(A) पे सत्ता (7)।।
*खम्भा 

Thursday, 7 February 2013

बढ़ता मध्य-प्रदेश, अरब-पति नौकर पाए-

 हृष्ट-पुष्ट रिश्वत रखे, बम बम रिश्वत खोर |
देते लेते निकलते, चन्दा चोंच चकोर |

चन्दा चोंच चकोर, चतुर चुटकियाँ बजाते |
काम निकलता देख, रोक खुद को ना पाते |

बढ़ता मध्य-प्रदेश,  अरब-पति नौकर पाए |
लेना देना सत्य, नहीं रविकर शरमाये ||

Monday, 4 February 2013

राम-सेतु का अंश सुन, खफा हो रहे शाह

महाकुंभ में इन दिनों एक पत्थर पूरे मेलें में सुर्खियां बटोर रहा है। इस अद्भुत पत्थर पर प्रभु राम का नाम भी लिखा गया है।


 पत्थर पानी में पड़ा, करे तैर अवगाह |
राम-सेतु का अंश सुन, खफा हो रहे शाह |

खफा हो रहे शाह, करे पड़ताल मर्म की |
बढ़े अंध-विश्वास, हुई है हँसी धर्म की |

किन्तु कभी तो अक्ल, दूर दिल से रख रविकर |
देख कठौती गंग, लिंग-शिव प्युमिस पत्थर  ||
  शैतानों तानों नहीं,  कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए,  कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।

Saturday, 2 February 2013

जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न-





शैतानों तानों नहीं,  कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए,  कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।


लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | 
नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||



नाबालिग की पार्टी, मने वहाँ पर जश्न ।
जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न ।
फँसने का क्या प्रश्न, चलो मस्ती करते हैं ।
है सरकारी छूट, नपुंसक ही डरते हैं ।
पड़ो एकश: टूट, फटाफट हो जा फारिग ।
चार दिनों के बाद, रहें ना हम नाबालिग ।।