उदासीनता की तरफ, बढ़ते जाते पैर ।रोको रविकर रोक लो, करे खुदाई खैर । करे खुदाई खैर, चले बनकर वैरागी ।दुनिया से क्या वैर, भावना क्यूँकर जागी ।दर्द हार गम जीत, व्यथा छल आंसू हाँसी ।जीवन के सब तत्व, जियो जग छोड़ उदासी ।। रविकर पुंज स्वागतमसकारात्मक चिंतन स्वागतम .बढिया हताशा भगाऊ पोस्ट .
उदासीनता की तरफ, बढ़ते जाते पैर ।
ReplyDeleteरोको रविकर रोक लो, करे खुदाई खैर ।
करे खुदाई खैर, चले बनकर वैरागी ।
दुनिया से क्या वैर, भावना क्यूँकर जागी ।
दर्द हार गम जीत, व्यथा छल आंसू हाँसी ।
जीवन के सब तत्व, जियो जग छोड़ उदासी ।।
रविकर पुंज स्वागतम
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