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Thursday, 31 October 2013

पारा-पारी ब्लास्ट, महज छह जान गई है-

*फेलिन करता फेल जब, मनसूबे आतंक |
बिना आर.डी.एक्स के, हल्का होता डंक |

हल्का होता डंक, सुपारी फेल हुई है |
पारा-पारी ब्लास्ट, महज छह जान गई है |

कृपा ईश की पाय, कहाँ फिर मोदी मरता -
आई एस आई चाल, फेल यह फेलिन करता ||

Wednesday, 30 October 2013


देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान-


रविकर लखनऊ में २०-१०-१३ : फ़ोटो मनु
देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान |
अभी अभी जो दिया था, तगड़ा बड़ा बयान |

तगड़ा बड़ा बयान, प्रथम शौचालय आये |
पीछे देवस्थान, गाँव आदर्श बनाये |

मानव-बम फट जाय, और बच जाता नेता |
शौचालय जय जयतु, बधाई रविकर देता ||

मोदी मोधू में छिड़ी, जब वासंतिक जंग-


मोदी मोधू में छिड़ी, जब वासंतिक जंग |
तब परचून दूकान से, मोधू *किने पतंग |

मोधू किने पतंग, मँगा माँझा लाहौरी |
रहा विरासत बाँध, चढ़ाये बाहें-त्योरी |

बहुत उड़ रहा किन्तु, तेज बरसात भिगो दी |
इधर लगाए ढेर, बेचता जाये मोदी ||
*ख़रीदे


 डरे सुपारी से अगर, कैसे होय सुपार |

आज मरे या कल मरे, ये तो देंगे मार |


ये तो देंगे मार, जमाना दुश्मन माना |

शायद टूटे तार, किन्तु छोड़े क्यूँ गाना |


दीवाना यह देश, देखता राह तुम्हारी |

जीतोगे तुम रेस, आप से डरे सुपारी ||


Wednesday, 30 October 2013

ले मोदी को रोक, जमा हैं सोलह *गालू -



रविकर लखनऊ में २०-१०-१३ : फ़ोटो मनु 
(1)
चालू संयोजन हुआ, थर्ड फ्रंट  का शोर |
पॉलिटिक्स को मोड़ने, चले तीसरी ओर |

चले तीसरी ओर, सजाई अपनी घोड़ी |
जागी है उम्मीद, कहीं कुछ थोड़ी-मोड़ी |

ले मोदी को रोक, जमा हैं सोलह *गालू |
बने सीट कुछ जीत, किंग मेकर ये चालू ||
*गाल बजाने वाले

(2)

देता शौचालय बचा, मोदी जी की जान |
अभी अभी जो दिया था, तगड़ा बड़ा बयान |

तगड़ा बड़ा बयान, प्रथम शौचालय आये |
पीछे देवस्थान, गाँव आदर्श बनाये |

मानव-बम फट जाय, और बच जाता नेता |
शौचालय जय जयतु, बधाई रविकर देता ||


बड़े गए गुजरे दिखो, देश-भक्त तुम नाय-

रविकर 

हम सब दल दल में पिले, तुम बैठे बिलगाय |
बड़े गए गुजरे दिखो, देश-भक्त तुम नाय |

देश भक्त तुम नाय, हुवे पैदा केहि' कारण |
भगवा हरा दुरंग, तिरंगा नीला धारण |

कुरुक्षेत्रे रणक्षेत्र, दिखाना सबको करतब |
अपना अपना युद्ध, लड़ेंगे अब तो हम सब ||

Tuesday, 29 October 2013

होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने -

20 OCTOBER, 2013


रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें

लखनऊ से-
(१)
जाने ये क्या हो रहा, सपने पर इतबार । 
मर्यादा स्वाहा हुई, जीता धुवाँ-गुबार । 
जीता धुवाँ गुबार, खुदाई चालू आहे । 
रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें । 
बाबा तांत्रिक ढोंग, लगे फिर रंग जमाने । 
होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने ॥ 

22 OCTOBER, 2013


करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली

गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |

रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |

रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा  प्रोपेगंडा |

रविकर लखनऊ में २०-१०-१३ : फ़ोटो मनु

कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार-

कार्टून :- चुनाव चि‍न्‍ह के खेल


तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |
कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |

कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |

दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||

Thursday, 10 October 2013

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल-

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |

हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |

हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे 
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |

Monday, 7 October 2013

मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा-

Untitled

PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.) 
(1)





वायदा करते जाइये, भली करें ना राम |
हक़ नाहक दे मत उन्हें, सकते छीन तमाम |

सकते छीन तमाम, दुर्ग भी सकें भेद वे |
वोट बैंक मजबूत, तभी दल चाटें तलवे |

मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा |
पलकों पर बैठाय, करे लीडरी वायदा ||

(2)
कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |

कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |

खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |

Sunday, 6 October 2013

हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा-

-दिल्ली कल,कर्नाटक आज -

कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |

कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |

खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |


बढे धरा की शान, बने रविकर सद्कर्मी-

सद्कर्मी रचता रहे, हितकारी साहित्य |
प्राणि-जगत को दे जगा, करे श्रेष्ठतम कृत्य |

करे श्रेष्ठतम कृत्य, धर्म जब हो बेचारा |
होय भोग का भृत्य, चरण चौथा भी वारा |

होंय सफल तब विज्ञ, सुधारें दुष्ट अधर्मी |
बढे धरा की शान, बने रविकर सद्कर्मी ||

Wednesday, 2 October 2013

दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त

गाँधी कब का भूलते, दो अक्तूबर दोस्त |

दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त |

बाएं बिकता गोश्त, पार्क में अनाचार है |


उधम मचे बाजार, तडपती दिखे नार है |

इत मोदी का जोर, बड़ी जोरों की आँधी |


उत उठता तूफ़ान, दिखा गुस्से में गाँधी ||