Followers

Saturday 25 August 2012

आँख रही नित मींज, मोतिया-बिन्द पालती-

आज पालती पौत्र को, पहले पाली पूत ।
पौत्र गरम मूते तनिक, आग रहा सुत मूत ।

आग रहा सुत मूत, टिफिन तब डबल बनाया ।
सुबह शाम मम भूख, चाय से अब निपटाया ।

ख्वाहिस की सब पूर,  किन्तु अब बात सालती ।
आँख रही नित मींज, मोतिया-बिन्द पालती ।।

Thursday 23 August 2012

ड़ा॰ अमर कुमार : पहली पुण्यतिथि पर सादर नमन


अमल अमर-पद अमन मन, "अमर" *अबन बन अक्ष |
कनक कथन कण समर्पण,  कर  ^कमलज  समकक्ष |

कर  कमलज  समकक्ष, पक्ष कर्मठ कर्तव्यम |
कथन सहज अनवरत, परत लवणम सम द्रव्यम |

अमर सरलतम समझ, रमय हर समय अनन्तर |
उलट पलट कर पत्र,  दरस  सम्यक अभ्यंतर ||

*सूर्य-चंद्रमा का उत्तरायण और दक्षिणायन होते रहना |
^ब्रह्मा
#नमक

बांछे खिलना / ख़्वाब देखना

बांछे खिलना  


बाँझिन को हो पुत्र रत्न, बने बांगड़ू बीर |
मिले हूर लंगूर को, सेंठा मारक तीर  | 
सेंठा मारक तीर, बने तो बांछे खिलती |
विकसित मानस कली,  मुरादें यूँ  हीं मिलती |
आठ पर्व नौ बार, फूल कर कुप्पा होना |
कुप्पी का क्या काम, बेंच कर घोडा सोना || 


ख़्वाब देखना 


अनलिमिटेड सपने दिखा, ठगे गुरू घंटाल |
लुटते औंधे मुंह पड़े, समय माल कंगाल |
समय माल कंगाल, धकेले बदहाली में |
ऊँचे ऊँचे ख़्वाब, बहे गन्दी नाली में |
पहले लो मुंह धोय,  और औकात आँक लो |
तदनुसार हों ख़्वाब, उछलकर ऊँच झाँक लो || 

Tuesday 21 August 2012

एक महीने की पृष्ठ दृश्य संख्या-रविकर

"लिंक-लिक्खाड़"

http://dineshkidillagi.blogspot.in/

2518

नीम-निम्बौरी

http://neemnimbouri.blogspot.in/

1333

रविकर-पुंज

http://rhytooraz.blogspot.in/

649

"कुछ कहना है"

http://dcgpthravikar.blogspot.in/

1033

श्री राम की सहोदरी : भगवती शांता

http://terahsatrah.blogspot.in/

144

आज समझ में आई 

यह बात भाई -

एक महीने की पृष्ठ दृश्य संख्या -
मेरे अपने ब्लॉग 

आभार आप सभी का 

वेब-पत्रिकाओं और ब्लॉग से चोरी हो रही हैं रचनाएँ : मुंबई से प्रकाशित 'संस्कार' पत्रिका का कारनामा

 
 संस्कार यह राक्षसी, पर नारी को छीन |
अंत:पुर में कैदकर, करे जुल्म संगीन |


करे जुल्म संगीन, कहो कमलेस कहानी |
सजा स्वयं तदबीज, दर्ज कर फर्द बयानी |


करता लेख हरण, नाम अपने छपवाते |
आओ रविकर शरण,  आज ही पाठ पढ़ाते ||




Sunday 19 August 2012

जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर -

आज हम फूंके गए श्मशान में -
पांच मन लकड़ी जली-टायर जले-
केरोसिन लगा था, दिल-जला ।
ताकती आँखे हमारी अश्रु भरकर -

एक पूरब से इशारे कर रही-
दूसरी ने सर हिला कर न कहा ।

दे दिया था किडनियाँ भी और लीवर -
जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर ।। 




Saturday 18 August 2012

करता बंदरबांट, कटे वासेपुर अन्दर-



अंगारों पर ही बसा, है झरिया अधिकाँश |
भू-धसान हरदिन घटे, जलता जिन्दा मांस |
जलता जिन्दा मांस, जलाने वालों सुन लो |
इक बढ़िया सी मौत, स्वयं से पहले चुन लो |
खड़ी हमारी खाट, करे चालाक मिनिस्टर |
करता बंदरबांट, कटे वासेपुर अन्दर ||
Coal fire








कौड़ी कौड़ी बेंचते,  झारखंड का माल ।
बाशिंदे कंगाल है,  पूछे मौत सवाल ।
पूछे मौत सवाल, आज ही क्या आ जाऊं ?
पल पल देते टाल, हाल क्या तुम्हें बताऊँ?
डूब मरे सरकार, घुटाले करके भारी ।
होते हम तैयार,  रखो तुम भी तैयारी ।।
endless_fires_10.jpg
अंग नंग अंगा दफ़न, कफन बिना फनकार ।
रंग ढंग बदले सकल, रहा लील अंगार ।
रहा लील अंगार, सार जीवन का पाया ।
होवे न उद्धार,  आग जिसने भड़काया ।
रविकर भरसक खाय, लिए मुट्ठी अंगारा ।
राक्षस किन्तु जलाय, कोयला  रखे दुबारा  ।।

Thursday 16 August 2012

ऊँगली नहीं उठाइए, न्याय बहुत ही सख्त-

कभी कभी कानून को, लगता कत्था चून।
ममता को झटका लगा, कोस रही कानून ।
कोस रही कानून, न्याय अक्सरहां धूमिल ।
कठिन प्रक्रिया भून, जलाए पावर घुलमिल ।
ममता हैं तैयार, जेल जाने को रविकर ।
करके अवमानना, न्याय से लेती टक्कर ।।

 कडुवी सच्ची बात को, करिए न यूँ व्यक्त ।
ऊँगली नहीं उठाइए, न्याय बहुत ही सख्त ।
न्याय बहुत ही सख्त, खरीदें राय बहादुर ।
वक्त वक्त की बात, बदल जाते हैं सुर ।
जिसकी लाठी भैंस, वही ले जाता मैया ।
सी एम् रही चहेट, फंसी जब भूल-भुलैया ।।


 

Tuesday 14 August 2012

सिस्टम खाता गोश्त, रोस्ट कर कर के नोचा-

हुई कहानी सब ख़तम, दफ़न जवानी दोस्त |
हड्डी कुत्ते चाटते, सिस्टम  खाता गोश्त |


सिस्टम
खाता गोश्त, रोस्ट कर कर के नोचा |
बन जाता जब टोस्ट, होस्ट इक अफसर पोचा |


आया न आनंद, बके लंदफंदिया बानी  |
बिन सिग्नेचर किये, बंद कर गया कहानी  ||

Friday 10 August 2012

तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग-

तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग |

जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद |
पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद |

जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें |
लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |

Thursday 9 August 2012

जब-तब हिन्दुस्तान सिर्फ दो दंगे नामी-

को-कर-झारे असम को, दंगाई मस्तान |
दंगों को झेला किया, जब-तब हिन्दुस्तान |

जब-तब हिन्दुस्तान, सिर्फ दो दंगे नामी |
धत दिल्ली गुजरात, असम में क्या है खामी |

जलते मरते लोग, शिविर में लाशें हाजिर |
 सरकारों का ढोंग, नहीं क्या सत्ता खातिर  ??

जया सोनिया शक्ल, कांपते सिन्धी-शिंदे-


सिन्धी-शिंदे खा रहे,  निज गृह नित फटकार |
नारी शक्तिकरण में, बिला-वजह की रार |

बिला-वजह की रार, नहीं नाजायज सत्ता |

 बने असम में फिल्म, चले दिल्ली-कलकत्ता |

व्यंग-चिकोटी काट, पुरुष जुल्मी शर्मिन्दे ||

जया सोनिया शक्ल, कांपते सिन्धी-शिंदे |

समझी झट इस बार, तभी तो फट गुस्साई-
 समारोह दीक्षांत में, दिग्गी राजा आय |
हिंदी-डिग्री सौंपते, पाय सोनिया माय |
पाय सोनिया माय, थैंक्यू कह शरमाये |
वो संसद जब जाय, समझ में चर्चा आये |
अडवानी की बंद,  करे इक दिवस बोलती |
गुस्से का इजहार, जुबाँ इस कदर खोलती |


इत्ता गुस्सा बाप रे, अडवानी की भूल |
यू पी ए टू कह गए, दे दी जम के तूल |
दे दी जम के तूल, मीडिया समझ न पाया |
रविकर ने इस बार, उसे ऐसे समझाया |
हिंदी भाषा ज्ञान,  ख़तम की पूर्ण पढ़ाई |
 समझी झट इस बार,  तभी तो फट गुस्साई ||

बइले को मोबाइलें, दे दे के बहलाय

बइले को मोबाइलें, दे दे के बहलाय |
मौंजीबंधन दें करा, पंडित बड़ा बुलाय |

पंडित बड़ा बुलाय, दक्षिणा तीस रुपैया |
महीने में इक बार, हेलो कर लेना सैंया |

रविकर देता बेंच, जुगाड़े दाना-पानी |
राहुल मौका ताड़, पकड़ लेता बेईमानी ||

Wednesday 8 August 2012

समझी झट इस बार, तभी तो फट गुस्साई-

 समारोह दीक्षांत में, दिग्गी राजा आय |
हिंदी-डिग्री सौंपते, पाय सोनिया माय |
पाय सोनिया माय, थैंक्यू कह शरमाये |
वो संसद जब जाय, समझ में चर्चा आये |
अडवानी की बंद,  करे इक दिवस बोलती |
गुस्से का इजहार, जुबाँ इस कदर खोलती |


इत्ता गुस्सा बाप रे, अडवानी की भूल |
यू पी ए टू कह गए, दे दी जम के तूल |
दे दी जम के तूल, मीडिया समझ न पाया |
रविकर ने इस बार, उसे ऐसे समझाया |
हिंदी भाषा ज्ञान,  ख़तम की पूर्ण पढ़ाई |
 समझी झट इस बार,  तभी तो फट गुस्साई ||

रविकर फैजाबादी
My Photo
D.C.Gupta
STA, Department of Electronics Engg.
Indian School of Mines
Dhanbad
M: +918521396185

Sunday 5 August 2012

रचना ईश्वर ने रची, तन मन मति अति-भिन्न-रविकर

विवाह पूर्व यौन सम्बंध की त्रासदी

रचना ईश्वर ने रची, तन मन मति अति-भिन्न |
प्राकृत के विपरीत गर, करे खिन्न खुद खिन्न |

करे खिन्न खुद खिन्न, व्यवस्था खुद से करता |
करे भरे वह स्वयं, बुढापा बड़ा अखरता  |

नाड़ी में है ताब, आबरू की क्या चिंता |
अंत घड़ी जब पास, शुरू की गलती गिनता ||

ईमानदारी का एफ़ी-डेविट:अन्नापार्टी -रविकर

नई पार्टी बन रही, हुवे पुराने फेल |
अन्ना से चालू करें, राजनीति का खेल |

राजनीति का खेल, समर्पण पूर्ण चाहिए |
सच्चा खरा इमान, प्रमाणित किये आइये |

एफ़ी-डेविट आज, कराकर ले आया हूँ |
दो सौ रुपये खर्च, कष्ट से भर-पाया हूँ ||

Friday 3 August 2012

इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और -रविकर

 (1)
इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
वा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |

लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
रखिये निज सिर मौर, दौर चालू जब टालू |

लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||

 (2)
राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।

जागे नीम-हकीम,  दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।

ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।

Thursday 2 August 2012

ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर -रविकर

राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।

जागे नीम-हकीम,  दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।

ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।