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Thursday 28 June 2012

जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस-

जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस ।
पोस्ट ब्लैंक यह पोस्ट है, पर आँखे अड़तीस  ।

पर आँखे अड़तीस, नहीं कुछ लेख लिखी है ।
मन को देती टीस, खीस ही ख़ास दिखी है ।

लम्बी डाक्टर फीस, बड़े गहरे ये खलते ।
रविकर इनसे रीस, तभी तो रहते जलते ।।
चर्चित पोस्ट (1 Like = 5 My ImageViewww.hamarivani.comws)

Sunday 24 June 2012

घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम-

कमल का तालाब

देवेन्द्र पाण्डेय 
स्थानः काशी हिंदू विश्व विद्यालय समयः 25-06-2012 की सुबह फोटूग्राफरः देवेन्द्र पाण्डेय।
कमल-कुमुदनी से पटा, पानी पानी काम ।
घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम ।
 
मीन चुकाती दाम, बिगाड़े काई कीचड़ 
रहे फिसलते रोज, काईंया पापी लीचड़ ।
 
किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त  हो रहे ।
भौरे की बारात, पतंगे धैर्य खो  रहे ।।

Saturday 23 June 2012

आसक्त पड़ा आसिक्त , टूटती नींद नाग की -



Mallika Sherawat in Hiss
 
स्वर्ण-शिखा सी सज संवर, लगती जलती आग ।
छद्म रूप मोहित करे, कन्या-नाग सुभाग ।
कन्या-नाग सुभाग, हिस्स रति का रमझोला ।
झूले रमण दिमाग, भूल के बम बम भोला ।
नाग रहा वो जाग, ज़रा सी आई खांसी ।
कामदेव गा भाग, ताक  के स्वर्ण शिखा सी ।।
 
नींद नाग की भंग हो, हिस्स-फिस्स सम शोर। 
भंग नशे में शिव दिखे, जगा काम का चोर ।
जगा काम का चोर, समाधी शिव की छोड़े ।
सरक गया पट खोल, बदन दनदना मरोड़े ।
संभोगी आनीत, नीत में कमी राग की ।
आसक्त पड़ा आसिक्त , टूटती नींद नाग की ।।
मांसाहारी मन-मचा, मदन मना महमंत ।
पाऊं-खाऊं छोड़ दूँ, शंका जन्म अनंत ।
शंका जन्म अनंत, फटाफट पट पर पैनी ।
नजर चीरती चंट, सहे न मन बेचैनी ।
चला मारने दन्त, मगर जागा व्यभिचारी ।
फिर जीवन-पर्यंत, चूमता मांसाहारी ।।
प्रेमालापी विदग्धा, चाट जाय सब धात ।
खनिज-मनुज घट-मिट रहे, नष्ट प्रपात प्रभात ।
नष्ट प्रपात प्रभात, शांत मनसा ना होवे ।
असमय रही नहात, दुपहरी पूरी सोवे ।
चंचु चोप चिपकाय, नहीं पिक हुई प्रलापी ।
चूतक ना बौराय, चैत्य-चर प्रेमालापी ।।
52ft high Shankar bhagwan statue
 
 Asian Koel

Thursday 21 June 2012

हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं-

त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।


सरल समस्या-पूर्ति
, पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।

 
निभा रही दायित्व, किन्तु अधिकार घटे हैं ।
  हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।

Saturday 16 June 2012

उहापोह चित्कार, पाप का अंत निकट है-

'आज की टिप्पणियाँ'

अहँकार

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ढर्रा बदलेगी नहीं,  रोज अड़ाये टांग ।
खांई में बच्चे सहित, ममता मार छलांग । 
'ममता' मार छलांग, भूलती मानुष माटी ।
धंसी 'मुलायम' भूमि, भागता मार गुलाटी ।
रविकर का अंदाज, लगेगा झटका कर्रा ।
बर्रा प्राकृति दर्प, बदल ना पाए ढर्रा ।।

रामगढ: सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष 

रामगढ में लगे सरकारी स्टाल
सीता बेंगर-रामगढ़,  शाळा नाट्य पुरान ।
ललित कलाओं से मिला, नव परिचय एहसान 
 नव परिचय एहसान, गुफा जोगीमारा की ।
प्रेम कथा उत्कीर्ण, चकित होना है बाकी ।
रंगमंच उत्कृष्ट, सुरों हित सकल सुबीता ।
मेघदूत के पृष्ट, प्रगट धरती से सीता ।।

"मौत से सब बेख़बर हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



मौत से जो सौत सी हम डाह करते |
जिन्दगी की बेवजह परवाह करते |
सत्य शाश्वत एक ही रविकर समझ-
हर घडी हर सांस में क्यूँ  आह भरते ??

आखर-मोती बिखरें - माहिया

ऋता शेखर मधु
मधुर गुंजन
वाणी हो "मधु" सी सरस, बसे हृदय में प्रीत | 
चलने की चाहत रखो, खूब "ऋता" की रीत |
 

उगता सूरज -धुंध में

BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

बड़ा विकट है भ्रमर के, मन का यह आक्रोश |
धुंध छटेगी शीघ्र ही, रहे सुरक्षित कोष |
रहे सुरक्षित कोष, दोष सब बने नकलची |
विज्ञापन का दौर, दिखें चीजें न सच्ची |
उहापोह चित्कार, पाप का अंत निकट है |
कैलासी नटराज, हमारा बड़ा विकट है ||

Thursday 14 June 2012

माँ की उलटी चाल, बिचारा पुत्र कुंवारा -

सोमनाथ मोहन दरश , पढ़ते मन्त्र कलाम ।
प्रणव वाद्य की गूँज से, बहरे हुवे तमाम ।

बहरे हुवे तमाम, नाम की माला जापें ।
दीखें रविकर खाम, दूर से रस्ता नापें ।

माँ की उलटी चाल, बिचारा पुत्र  कुंवारा ।
पति की बाकी दौड़, राष्ट्रपति मारी-मारा ।।

Friday 8 June 2012

डाक्टर गर नाराज, हुए भगवन के प्यारे-

बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात |
अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |

मुफ्त मिली सौगात, डाक्टर हों या भगवन |
करिए मत नाराज, कभी दोनों को श्रीमन |

भगवन गर नाराज, पड़े डाक्टर के द्वारे |

डाक्टर गर नाराज, हुए भगवन के प्यारे||