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Wednesday 30 January 2013

नाबालिग ले ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी -

लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |

बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए |  

नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||

बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।
बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।
चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।

 
अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
 
डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी  |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
 
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||

Monday 28 January 2013

चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग

दामि‍नी.....नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय

रश्मि शर्मा 
बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।

बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।

चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।



अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
 
डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी  |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
 
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||

अपना सेक्युलर राज, लाज ना आती इस को-

अफ़सोस !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
रहे रिपु-दमन हैं विछा, पलक-पाँवड़े आज |
माँगे नोबुल शान्ति का, अपना सेक्युलर राज |

अपना सेक्युलर राज, लाज ना आती इस को |
उस दुश्मन पर नाज, सजा देनी है जिस को |

दिग्गी-शिंदे साब, वहाँ इज्जत फरमाते |
राज-पाट उपभोग, अभय उनसे पा जाते ||

Sunday 27 January 2013

मर मामा मारीच तू , बा-शिंदे दसबाहु -



काले गोरे छोरटे, भोरे भोरे जोड़ ।
जोड़े जोड़े में जमे, हो बाइक से होड़।  

हो बाइक से होड़, कर प्रेयसी को टा-टा
तोड़ें ट्रैफिक रूल, भरे दारुण फर्राटा

हो थोड़ी सी चूक, जहाँ वह दाना डाले ।
लाल रक्त के थाक, दिखेंगे काले काले ।।


आया राहुल राज है, समझ राज के राहु ।
मर मामा मारीच तू , बा-शिंदे दसबाहु ।
बा-शिंदे दसबाहु , सुरक्षित सिया रहेगी ।
स्वर्ण-छाल की चाह, राम से नहीं कहेगी ।
 लक्ष्मण-रेखा कहाँ, कहाँ छल कपटी माया ।
आश्वासन के बोल, राम से लेकर आया ।।


Thursday 24 January 2013

भीगी बिल्ली बन्दियाँ, बन्दे बनते शेर -


 बन्दी-बन्दा मिल करें, कारस्तानी ढेर ।
भीगी बिल्ली बन्दियाँ, बन्दे बनते शेर ।

 बन्दे बनते शेर, दाग ना कोई धब्बा ।
बिन हर्रे फिटकरी, कहाता बन्दा अब्बा ।

जाय दशक इक बीत, शेरनी बनती बन्दी ।
गीदढ़ सा अब शेर, लगे लाखों पाबंदी ।।



हिमायती कम्युनिष्ट, बने कांग्रेसी ढर्रा-


देवि महाश्वेता नमन, नक्सल को अधिकार ।
स्वप्न देखने का मिला, उठा हाथ हथियार ।

उठा हाथ हथियार, पेट की खातिर उद्यम ।
चीर लाश का पेट, प्लांट कर देते हैं बम ।
हिमायती कम्युनिष्ट, बने कांग्रेसी ढर्रा ।
 आतंकी खुश होंय, सुनो शिंदे का *चर्रा ।
*चुटीली बातें 
 
 पूर्वी भारत में चले, नक्सल सिक्का मित्र ।
करें चिरौरी पार्टी, हालत बड़ी विचित्र ।
हालत बड़ी विचित्र, जीतना अगर इलेक्शन ।
सींचो नक्सल मूल,  करो इनसे गठबंधन ।
सत्ता सीखे पाठ, करे आतंकी को खुश ।
सांठ-गाँठ आरोप, लगा भाजप पर दुर्धुष ।।

गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग -

 पूर्ति करे या न करे, लगे चदरिया  दाग ।
  गुड़ गुड़-कर के गुड़गुड़ी, गाय गुड़करी राग ।
 गाय गुड़करी राग, मगर अब भी ना जागे ।
आय आयकर टीम, बोल-बम उन पर दागे ।
खटिया करके खड़ी, गया भाजप का बन्दा ।
बढ़ी और भी अकड़, व्यर्थ धमकाए गन्दा ।।

Wednesday 23 January 2013

छक्का-पंजा करे, सदा ही खूनी पंजा-

पंजा-वाले से भला, खुरवाला खुद्दार ।
परम्परागत चाल से, करे जाति-उद्धार ।

करे जाति-उद्धार, जलाशय पद्म उगाये  
  तोडूं तारे-चाँद, कथ्य पंजा भरमाये ।

गंगा गीता गाय, पूजने खिलता *अंजा।
छक्का-पंजा करे,  सदा ही खूनी पंजा ।।

अंज = पद्म , कमल

Monday 21 January 2013

तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान-




 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 


बोल अब तो-बा-शिंदे-रविकर

बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  ।
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम ।
 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।
पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे ।
यह सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।


सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ-

सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
 पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद  |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||

बढती मँहगाई गई, गाई गई प्रशस्ति |
मौतें होतीं भूख से, बने स्वयंभू स्वस्ति |
बनो सहारा नारों ना रो ||

डीजल भी जलने लगा, लगी रेल में आग |
वाह वाह अपनी करे, काँव काँव कर काग |
सावधान हो जाव शिकारों ||

चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||


सत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा-

  पंजा की पडवानियाँ, गायन वादन नृत्य ।
संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।

अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।
चले यहाँ  बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।

सत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा ।
चिंतन दीपक पूर, भिड़ाओ छक्का पंजा ।।

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग ।
 पैदल-कुल बकवा रहे , दे आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये 
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।

कडुवाहट भरते रहे, नकारात्मक बोल ।
नकारात्मक प्रेरणा, रहे रास्ता खोल ।
 फिर भर्ती में तेजी आये  ।
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।
धर्मभीरु भी जब कभी, हो जाता है त्रस्त ।
नए रास्ते खोजता, सहिष्णुता कर अस्त । 
गलत-सही कुछ  कदम उठाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।
देश गलतियाँ भुगतता, हर पीढ़ी की चार ।
रोज गर्त में जा रहा, जिम्मा ले परिवार ।
नए नए नारे बहकाए ।
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।


शहनवाज-गडकरी, पार्टी यह आतंकी-

माधौ संघी करें ट्विट,  दिग्गी करें कमेन्ट ।
साहब हाफिज सईद जी, ईष्ट सेंट-पर-सेंट ।

ईष्ट सेंट-पर-सेंट, हमारे स्वामी आका ।
पार्टी लाइन यही, खींचते जाएँ खाका ।

शहनवाज-गडकरी, पार्टी यह आतंकी ।
प्यादे ऊंट वजीर, करे रानी नौटंकी ।।

नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर  |
पहुँचायें सत्ता सही, चाहे देर सवेर |

चाहे देर सवेर, गरीबी रेखा वालों |
फँसता मध्यम वर्ग, साथ अब इन्हें बुला लो  |

मँहगाई की मार, टैक्स ने भी संहारा |
लाल-कार्ड बनवाय, लगायें हम भी नारा |

मिली मुबारकवाद मकु, मणि शंकर अय्यार ।
शिंदे फर्द-बयान से, जाते पलटी मार ।
जाते पलटी मार , भतीजा होता है खुश।
नकारात्मक वार, कभी हो जाता दुर्धुष । 
हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक ।
हर्षित फूंके शंख, मित्र से मिली मुबारक ।।
जिसने भी भाषण लिखा, ज्ञान-पीठ दो यार ।
ठोक पीठ को प्यार से, प्रकट करो आभार ।
प्रकट करो आभार, भावनामयी प्रभावी ।
आँसू मस्ती प्यार, हमारे पी एम् भावी ।
डी एन ए की बात, सुझाई है पर किसने ।
वह ही हिन्दुस्तान, कहा कांग्रेसी जिसने ।।

Sunday 20 January 2013

नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर-

नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर  |
पहुँचायें सत्ता सही, चाहे देर सवेर |

चाहे देर सवेर, गरीबी रेखा वालों |
फँसता मध्यम वर्ग, साथ अब इन्हें बुला लो  |

मँहगाई की मार, टैक्स ने भी संहारा |
लाल-कार्ड बनवाय, लगायें हम भी नारा |
 

हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक-


बोल अब तो-बा-शिंदे-रविकर




बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  ।
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम ।
 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।

पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे ।
यह सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।
 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 

सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ-

सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
 पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद  |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||

बढती मँहगाई गई, गाई गई प्रशस्ति |
मौतें होतीं भूख से, बने स्वयंभू स्वस्ति |
बनो सहारा नारों ना रो ||

डीजल भी जलने लगा, लगी रेल में आग |
वाह वाह अपनी करे, काँव काँव कर काग |
सावधान हो जाव शिकारों ||

चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||


मिली मुबारकवाद मकु, मणि शंकर अय्यार ।
शिंदे फर्द-बयान से, जाते पलटी मार ।

जाते पलटी मार , भतीजा होता है खुश।
नकारात्मक वार, कभी हो जाता दुर्धुष । 

हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक ।
हर्षित फूंके शंख, मित्र से मिली मुबारक ।।

जिसने भी भाषण लिखा, ज्ञान-पीठ दो यार ।
ठोक पीठ को प्यार से, प्रकट करो आभार ।
प्रकट करो आभार, भावनामयी प्रभावी ।
आँसू मस्ती प्यार, हमारे पी एम् भावी ।
डी एन ए की बात, सुझाई है पर किसने ।
वह ही हिन्दुस्तान, कहा कांग्रेसी जिसने ।।

Saturday 19 January 2013

*चिंजा - चिंजी वास्ते, चिंतन-तन अनुराग-




*चिंजा - चिंजी  वास्ते, चिंतन-तन अनुराग ।
नंबर दो तो रहा ही, दो हित कर खटराग ।

दो हित कर खटराग, आग अब अटल बिहारी ।
जब मुंडेर पर काग, कुँवारा मुंडा भारी ।

दो मत इतना बोझ, कहीं ना होवे गंजा ।
करो कर्म यह सोझ, ब्याह माँ अपना चिंजा ।।
*चिंजा - चिंजी=बेटा -बेटी 

Friday 18 January 2013

चढ़ा रहे हैं तेल, केतु-राहु ल-खत भिश्ती -

किश्ती डूबे किश्त में, काट *धारु-जल ख़्वाब ।
निकला तेल जनाब का, खाना करे खराब ।
  *धारु-जल=तलवार
खाना करे खराब, ताब लेकिन है बाकी ।
वालमार्ट का दाब, पड़ेगी मार बला की ।

चढ़ा रहे हैं तेल, केतु-राहु -खत भिश्ती ।
पानी-पानी पुश्त, भंवर में डूबे किश्ती  ।। 


प्रेम-पुजारी प्रार्थना, हाथ दुबारा थाम ।  

चले छोड़कर दूर क्यूँ , कर रविकर बदनाम ।

  कर रविकर बदनाम, काम का 'पहला' बन्दा ।

सदा काम ही काम, याद कर पल-आनन्दा

  करूँ प्रशंसा नित्य, रखूं ना कभी उधारी 

  तेरे पास प्रमाण, बड़ा मैं प्रेम-पुजारी ।।

Wednesday 16 January 2013

सुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग -




न्यूज चैनलों में तन गए तोप !

महेन्द्र श्रीवास्तव  
 
चै-चै चैनल पर शुरू,  कमर्शियल के संग |
सुषमा ने भर ही दिया, जन-गन-मन में जंग |
जन-गन-मन को जंग, रंग में आया भारत |
लेकिन सत्ताधीश, बैठ के रहे विचारत |
परेशान उत पाक, विपक्षी कूचें धै  धै |
है आतंकी धाक, इधर चैनल की चै चै ||

Tuesday 15 January 2013

मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की-

घर की मुर्गी नोन है, घर का भेदी पाल ।
पेट फाड़ के बम रखे, काटे गला हलाल ।

काटे गला हलाल, उछाले जाते हर दिन ।
चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?

पहला दुश्मन पाक,  दूसरे नक्सल ठरकी ।
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की ।।

माना पाक-परस्त हैं, पर करिए ये गौर -

@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .



 


नहीं नहीं जल्दी नहीं,  इक मौका दो और ।
माना पाक-परस्त हैं, पर करिए ये गौर ।


पर करिए ये गौर, पुन: हमला हो जाए ।
करे सुरक्षा कर्म, आठ दस जन मर जाए ।


साथ मरें दस-बीस, रीस जिनपर है भारी ।

इन्तजार कर मित्र, कटे जब  पारी पारी ।।

Thursday 10 January 2013

नक्सल पीछे कहाँ, तनिक आगे है पाकी

 आज यह देखिये -

Three killed in Naxal attack on police van in Jharkhand

पाकी सिर काटे अगर, व्यक्त सही आक्रोश ।
मरे पुलिस के पेट में, नक्सल दे बम खोंस ।

नक्सल दे बम खोंस, आधुनिक विस्फोटक से ।
करे धमाका ठोस, दुबारा पूरे हक़ से ।

अन्दर बाहर शत्रु, बताओ अब क्या बाकी ।
नक्सल पीछे कहाँ, तनिक आगे है पाकी ।।
 

Tuesday, 8 January 2013

  बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी

पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस ।
रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस ।
उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी ।
सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी ।
बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी ।
सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।। 


Wednesday 9 January 2013

ब्रह्मचर्य का ढोंग, आस्था का रख टम-टम-

मोमेंटम में तन-बदन, पश्चिम का आवेग ।
 सोच रखी पर ताख पर, काट रही कटु तेग ।

काट रही कटु तेग, पुरातन-वादी भारत ।
रहा अभी भी रेंग, रेस नित खुद से हारत ।

ब्रह्मचर्य का ढोंग, आस्था का रख टम-टम ।
पश्चिम का आवेग, सोच को दे मोमेंटम।