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Thursday, 28 June 2012

जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस-

जलते हम तो जील से, कारण हैं छत्तीस ।
पोस्ट ब्लैंक यह पोस्ट है, पर आँखे अड़तीस  ।

पर आँखे अड़तीस, नहीं कुछ लेख लिखी है ।
मन को देती टीस, खीस ही ख़ास दिखी है ।

लम्बी डाक्टर फीस, बड़े गहरे ये खलते ।
रविकर इनसे रीस, तभी तो रहते जलते ।।
चर्चित पोस्ट (1 Like = 5 My ImageViewww.hamarivani.comws)

13 comments:

  1. न जला रवि तो जलेगा कौन,
    सोचते है तो रह जाते मौन,
    रह जाते मौन और मौन ये पुकारे,
    जलो या रीस करो,रचो छन्द प्यारे!

    थोड़ी सी रीस हम ने भी कर के देखी है जी,क्षमा करना...
    कुँवर जी

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  2. जलते रहिये मौसम है जलने का
    फिर न मौका मिलेगा हाथ मलने का
    हमारी तो बिसात ही नही यहाँ
    पर फिर मौका न मिलेगा कहने का

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    1. रिमूब्ड पोस्ट पर भी ४० से अधिक हिट हैं |
      देखिये !
      है न मजेदार ज्वलन सामग्री ||

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  3. .

    हा हा हा रविकर जी...गलती से वह पोस्ट दो बार प्रकाशित हो गयी थी , अतः बाद वाली पोस्ट को remove कर दिया, लेकिन वह पोस्ट मेरे ब्लॉग 'ZEAL' पर है। उसी पोस्ट का सही लिंक नीचे दे रही हूँ, कृपया मार्गदर्शन अवश्य करें....

    http://zealzen.blogspot.in/2012/06/blog-post_28.html

    .

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  4. अपनी टिप्पणियों के माध्यम से आप बहुत ही सटीक चिकित्सा करते हैं । आपके शब्द किसी आशुकारी-दवा से कम नहीं है। आप तो बीरबल से भी ज्यादा हाज़िर-जवाब हैं। ....I honestly admire your poetic skills , imagination and creativity.

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  5. जलेबी कहाँ है ।
    हमें तो रसगुल्ला दिख रहा है ।

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  6. :-)

    Hits ka talluq to post ke title aur writer se hota hai, post ka test to link par click karke hi pata chalta hai...

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  7. शाहनवाज़ भाई आपने बिलकुल सही कहा। पोस्ट के टाइटल को देख हम भी कई बार क्लिक आये कि शायद कुछ लिखा है...कितनी बार ओह्ह कितनी बार :)

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  8. स्वागत है आप सबका |
    देखा-
    नाम ही काफी है जील का |
    सादर ||

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  9. बहुत बढ़िया रविकर जी उर्फ़ ब्लोगिया बीरबल (फिर अकबर किसी बनाए भाई ?)

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  10. आपकी कविताई का धाकड़पन खींच लाया है. रविकर जी, आप रव्याकार हैं.

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