ब्लॉग-विलासी दुनिया में, जो जीव विचरते हैं ।
सुख-दुःख, ईर्ष्या-प्रेम, तमाशा जीते-करते हैं ।।
सुअर-लोमड़ी-कौआ- पीपल, तुलसी-बरगद-बिल्व
अपने गुण-धर्मो पर अक्सर व्यर्थ अकड़ते हैं ।
तूती* सुर-सरिता जो साधे, आधी आबादी
काकू के सुर में सुर देकर "हो-हो" करते हैं |
हक़ उनका है जग-सागर में, फेंके चाफन्दा*
जीव-निरीह फंसे जो 'रविकर', आहें भरते हैं |
भावों का बाजार खुला, हम सौदा कर बैठे
इस जल्पक* अज्ञानी के तो बोल तरसते हैं ||
जल्पक = बकवादी तूती =छोटी जाति का तोता
चाफन्दा = मछली पकड़ने का विशेष जाल
सुअर-घृणित वृत्ति लोमड़ी-मक्कारी कौआ-चालबाजी
पीपल-ध्यान तुलसी-पवित्रता बरगद-सृष्टि बिल्व-कल्याण
हक़ उनका है जग-सागर में, फेंके चाफन्दा*
ReplyDeleteजीव-निरीह फंसे जो आकर, आहें भरते हैं |
sundar vyang Ravi ji ....badhai.
हक़ उनका है जग-सागर में, फेंके चाफन्दा*
ReplyDeleteजीव-निरीह फंसे जो आकर, आहें भरते हैं |
sundar vyang Ravi ji ....badhai.
GOOD.
ReplyDeleteसुअर-लोमड़ी-कौआ- पीपल, तुलसी-बरगद-बिल्व
ReplyDeleteअपने गुण-धर्मो पर अक्सर व्यर्थ अकड़ते हैं ।सुन्दर शब्दार्थ व्याख्या भाग .सटीक व्यंग्य चिठ्ठियाए लोगों पर .शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
आरोग्य समाचार
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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हक़ उनका है जग-सागर में,फेंके चाफन्दा*
ReplyDeleteजीव-निरीह फंसे जो आकर, आहें भरते हैं |
ब्लॉग - विलासी दुनिया का शब्द- चित्र !
उम्दा पोस्ट .
ReplyDeleteसुंदर !!
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