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Saturday 2 February 2013

जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न-





शैतानों तानों नहीं,  कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए,  कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।


लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | 
नाबालिग ले  ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
मरवा दे कुल साँप,  नहीं टूटेगी लाठी ||



नाबालिग की पार्टी, मने वहाँ पर जश्न ।
जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न ।
फँसने का क्या प्रश्न, चलो मस्ती करते हैं ।
है सरकारी छूट, नपुंसक ही डरते हैं ।
पड़ो एकश: टूट, फटाफट हो जा फारिग ।
चार दिनों के बाद, रहें ना हम नाबालिग ।।

11 comments:

  1. नाबालिग ले ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
    मरवा दे कुल साँप, नहीं टूटेगी लाठी ||
    बढ़िया व्यंग ,नाबालिक होने का सर्टिफिकेट बनवा लीजिये रविकर जी

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  2. नाबालिग की पार्टी, मने वहाँ पर जश्न ।
    जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न ।
    फँसने का क्या प्रश्न, चलो मस्ती करते हैं ।
    है सरकारी छूट, नपुंसक ही डरते हैं ।
    पड़ो एकश: टूट, फटाफट हो जा फारिग ।
    चार दिनों के बाद, रहें ना हम नाबालिग । बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक रोचक अभिव्यक्तिबेटी न जन्म ले यहाँ कहना ही पड़ गया . आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?

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  3. बहुत अच्छा लिखा है. बहुत करार व्यंग्य है.

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  4. बहुत करारा व्यंगनात्मक बेहतरीन प्रस्तुती।

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  5. आपकी मेहनत अदभुत है।
    शुक्रिया !

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  6. sundar kataksh,tabadtod firing, लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
    कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार |
    बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये |
    सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए |
    नाबालिग ले ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी |
    मरवा दे कुल साँप, नहीं टूटेगी लाठी ||
    नाबालिग की पार्टी, मने वहाँ पर जश्न ।
    जमा जन्म-तिथि देखकर, फँसने का क्या प्रश्न ।
    फँसने का क्या प्रश्न, चलो मस्ती करते हैं ।
    है सरकारी छूट, नपुंसक ही डरते हैं ।
    पड़ो एकश: टूट, फटाफट हो जा फारिग ।
    चार दिनों के बाद, रहें ना हम नाबालिग ।।

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  7. अच्छी व्यंग पूर्ण रचना |

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  8. सुन्दर!
    आभार !

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