ठीका पर बहाल करते हैं।
गाँधी को निहाल करते हैं ।।
मनरेगा-हाथ में ठेंगा
करते ठीक-ठाक आमदनी -
मिहनत बेमिसाल करते हैं ।।
देशी का सुरूर चढ़ जाता -
ठीका पर बवाल करते हैं ।।
जिनकी चाकरी नहीं पक्की -
वो भी पाँच साल करते हैं ।
तू लाखों कमा कमीशन जब
कारीगर कमाल करते हैं ।।
फोड़ें ठीकरा विफलता का
उनपर सवाल करते हैं ।
कारिन्दे बटोरते दौलत-
दरबारी मलाल करते है ।
जनता जूझती रहे जब-तब
वे जलसे-बवाल करते हैं ।।
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2
पाप का भर के घडा ले हाथ पर,
पार्टी निश्चय टिकट दे हाथ पर।।
शौक से दुनिया दलाली खा रही-
हाथ धर कर बैठ मत यूं हाथ पर । ।
जब धरा पे है बची बंजर जमीं--
बीज सरसों का उगा ले हाथ पर ।।
हाथ पत्थर के तले जो दब गया,
हाथ जोड़ो पैर हाथों हाथ पर
देख हथकंडा अजब रविकर डरा
*हाथ-लेवा हाथ रख दी हाथ पर ।।
*पाणिग्रहण
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आपकी पोस्ट की चर्चा 17- 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें ।
ReplyDeleteक्या खूब कहा हैं अपने बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ आगे निरंतर आता रहूगा
आप से आशा करता हूँ की आप एक बार मेरे ब्लॉग पर जरुर अपनी हजारी देंगे और
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना फरियाद
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
उनको दलाली पर कमीशन खाने दीजिये ,आप भांडा फोड़ते जाइये -बहुत बढ़िया
ReplyDeletelatest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर
ReplyDeleteखूबसूरत रचनाऎं !
ReplyDeleteकारिन्दे बटोरते दौलत-
ReplyDeleteदरबारी मलाल करते है..बहुत खूब..हमेशा की तरह लाजवाब
ReplyDeleteकारिन्दे बटोरते दौलत-
दरबारी मलाल करते है ।
जनता जूझती रहे जब-तब
वे जलसे-बवाल करते हैं ।।
-कुछ भी कहा जाय,औंधे घड़े पर पानी टिकता कहाँ है!
बहुत दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर
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