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Thursday, 21 February 2013

मिल रहा मौका जरा बाजा बजा दो-

आज पूरे प्यार से साजन सजा दो ।
उस सुनहरे ख़्वाब का पूरा पता दो ।।

रात-दिन छलती रही कोरी किताबें -
चिट्ठियां उनपर सटा के तो मजा दो ।।

 तंत्र रक्षा का गया अब तेल लेने -
हर घुटाले में विपक्षी को फँसा दो ।।  

लालटेनों की ख़तम बाती हुई तो 
काट नारे को फटाफट लो जला दो ।।

रोज उम्मीदे लगा कर लेट जाते 
मिल रहा मौका जरा बाजा बजा दो । ।

7 comments:

  1. गुरूजी तुस्सी ग्रेट हो | बहुत सुन्दर | आनंद आ गया | सादर

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  2. वाह गुरुदेव श्री वाह शानदार,धारदार, लाजवाब ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  3. बढ़िया व्यंग्य!
    ~सादर!!!

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  4. बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुति
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

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  5. नक्कार खाने की तूतियां सुनाई नहीं देती..,
    बंद महल की भूतनियाँ दिखाई नहीं देती.....

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  6. वाह,धारदार व्यंग्य

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