सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |
(भाजपा की ओर इशारा)
लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक |
खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम)
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |
(भाजपा की ओर इशारा)
लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक |
खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||
(माया-मुलायम)
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||
(माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
बहुत सुन्दर व्यंग रविकर जी
ReplyDeletenew postक्षणिकाएँ
सुंदरतम आदरणीय.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteअति सुन्दर !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
ReplyDeletesundar kataksh
ReplyDeleteबहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
bahut khoob
ReplyDeleteshubhkamnayen