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Monday, 4 February 2013

राम-सेतु का अंश सुन, खफा हो रहे शाह

महाकुंभ में इन दिनों एक पत्थर पूरे मेलें में सुर्खियां बटोर रहा है। इस अद्भुत पत्थर पर प्रभु राम का नाम भी लिखा गया है।


 पत्थर पानी में पड़ा, करे तैर अवगाह |
राम-सेतु का अंश सुन, खफा हो रहे शाह |

खफा हो रहे शाह, करे पड़ताल मर्म की |
बढ़े अंध-विश्वास, हुई है हँसी धर्म की |

किन्तु कभी तो अक्ल, दूर दिल से रख रविकर |
देख कठौती गंग, लिंग-शिव प्युमिस पत्थर  ||
  शैतानों तानों नहीं,  कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए,  कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।

5 comments:

  1. जीवन के गुज़ारे के लिए हरेक कुछ न कुछ कर ही रहा है।
    ज्ञान और सत्य की चाहत कम लोगों को होती है। ज़्यादा लोग चमत्कार और मनोरंजन ही चाहते हैं। आदमी को यहां वही मिलता है, जो वह ढूंढता है। कुम्भ में सच्चे लोग भी आते हैं। उनसे कौन कुछ सीखता है ?
    हरेक को कष्ट निवारण का सस्ता टोटका दरकार है। उनकी डिमांड के कारण ही आशीर्वाद का कारोबार खड़ा हो गया है।
    भाग्य बनता है कर्म से। जो कर्म सत्कर्म होगा, उसी का फल अच्छा होगा। आज सत्य पास नहीं है। ऐसा आदमी चाहे गंगा में नहा ले या आब ए ज़म ज़म से, उसका भला होने वाला नहीं है। बस यह है कि घूमने फिरने से उसका थोड़ा मन बहल जाएगा।

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  2. nice poem
    खफा हो रहे शाह, करे पड़ताल मर्म की
    बढ़े अंध-विश्वास, हुई है हँसी धर्म की

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  3. ...आखिर महाकुंभ है...चमत्कारों के लिए यहाँ खुला मैदान उपलब्ध है!

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  4. ओशो सिद्धार्थ ठीक कहते हैं-
    धर्म के नाम पर जो बचा है
    आग थोड़ी है,ज़्यादा धुआं है

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  5. इन दिखावटी चमत्कारों से धर्म का उपहास होता है ..
    शुभकामनायें भाई जी !

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