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Tuesday, 12 February 2013

थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन -





 हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |


काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |


थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||  

 लिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग |
आलिंगी आली जले, आग लगाता  फाग ||

आलिंगी = आलिंगन करने वाला
आली = सखी 

चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट |
लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट |
मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती |
कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती |
बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका |
मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का ||

  रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज |
रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज |

लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर |
चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर |

वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती |
ज्यों आलिंगन बद्ध,  टीम बजरंग सताती ||

 बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |

रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |

बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

खाए भंडे खार, भाड़ते प्यारी वेला ।।

वेला वेलंटाइनी,  नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल । 
Valentine's Day: Bajrang Dal apeals youths not to indulge in indecent acts in public places
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।

ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार,  भाड़ते प्यारी वेला ।।

5 comments:

  1. आलिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग |
    आलिंगी आली जले, आग लगाता फाग ||
    वसंत की मन भावन वर्णन -सुन्दर प्रस्तुति

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  2. बसंती भाव में मनमोहक प्रस्तुती,आभार ।

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  3. सुन्दर प्रस्तुति.
    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

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