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Wednesday 24 July 2013

बो के भ्रष्टाचार जो, ले कालाधन काट-


बो के भ्रष्टाचार जो, ले कालाधन काट |
वो ही खाए आम कुल,  बेंच गुठलियाँ हाट | 

बेंच गुठलियाँ हाट, लाट फिर से बन जाता |
जमा हुन्डियां ढेर, पुश्त फिर कई खिलाता |

क्या कर लेगा शेर, इकट्ठा गीदड़ होके |
लेते रस्ता घेर, विदेशी देशी *बोके |
*मूर्ख
 पावरटी घट ही गई , बीस फीसदी शुद्ध |
मँहगाई पर ना घटी, पावरोटियाँ क्रुद्ध |

पावरोटियाँ क्रुद्ध, पाँवड़ा पलक बिछाओ |
नव अमीर बढ़ जाँय, गीत स्वागत के गाओ |

डर्टी पिक्चर देख, लगा सत्ता कापर-टी |
रोके पैदावार, घटा देती पावरटी || 




सकते में है जिंदगी, दो सौ रहे कमाय |
कुल छह जन घर में बसे, लाल कार्ड छिन जाय | 


लाल कार्ड छिन जाय, खाय के मिड डे भोजन -
गुजर बसर कर रहे, कमे पर कल ही दो जन |


अब केवल हम चार, दाल रोटी नित छकते |
तब हम भला गरीब, बोल कैसे हो सकते ||

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