छोरा छलता छागिका, छद्म-रूप छलछंद |
नाबालिग *नाभील रति, जुवेनियल पाबन्द |
जुवेनियल पाबन्द, महीने चन्द बिता के |
दुर्मर-दामिनि देह, दुधमुहाँ-दानव ताके-
दीदी दादी बोल, भूज छाती पर होरा |
पा कानूनी झोल, छलेगा पुन: छिछोरा ||
*स्त्रियों के कमर के नीचे का भाग
बहुत उम्दा कुण्डलिया,रविकर जी !
ReplyDeletelatest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (25-07-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 66,सावन के बहारों के साथ" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteचुटील, कटु सत्य ... जय हो क़ानून की ...
ReplyDeleteउम्दा ,रविकर जी !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत ही सटीक.
ReplyDeleteरामराम.
वाह, बहुत सुन्दर रविकर जी.
ReplyDeleteराक्षसों में कोई नाबालिग होता है क्या ?
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