लोरी कैलोरी बिना, बाल वृद्ध संघर्ष |
किन्तु गरीबी घट गई, जय हे भारतवर्ष |
किन्तु गरीबी घट गई, जय हे भारतवर्ष |
जय हे भारत वर्ष, जयतु जन गन अधिनायक |
फिर भी शेष गरीब, बड़े काहिल नालायक |
कमा सकें नहिं तीस, खाय अनुदान अघोरी |
या नेता चालाक, लूटते गाकर लोरी ||
सकते में है जिंदगी, दो सौ रहे कमाय |
कुल छह जन घर में बसे, लाल कार्ड छिन जाय |
कुल छह जन घर में बसे, लाल कार्ड छिन जाय |
लाल कार्ड छिन जाय, खाय के मिड डे भोजन -
गुजर बसर कर रहे, कमे पर कल ही दो जन |
गुजर बसर कर रहे, कमे पर कल ही दो जन |
अब केवल हम चार, दाल रोटी नित छकते |
तब हम भला गरीब, बोल कैसे हो सकते ||
तब हम भला गरीब, बोल कैसे हो सकते ||
bahut khoob
ReplyDeleteबहुत सटीक और गजब.
ReplyDeleteरामराम.
इनको कोई ये पूछे कि अगर ३४ रुपये प्रतिदिन वाला गरीब नहीं है तो फिर मिनिमम वेजेज ११५/- क्यों कर रखी है ? जनता को कौंग्रेस किस कदर बेवकूफ समझती है यह इसका एक नमूना है !
ReplyDeleteबधाई !!
ReplyDeleteतीखा। करारा। यथार्थ।
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ReplyDeleteकागज पर भोजन मिले लागे पांच रुपैये
हम कहे दिन को रात तो कहना ही होगा भैये ।
शर्म इनको मगर,नहीं आती !
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