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Friday, 8 March 2013

शादी बिन बारात, बिचारी अब भी औरत-

कर इनको आजाद, अन्यथा तोड़े खूंटा -

औरत रत निज कर्म में, मिला सफलता मन्त्र ।

 सेहत से हत भाग्य पर, नरम सुरक्षा तंत्र । 

 

 

नरम सुरक्षा तंत्र, जरायम बढ़ते जाते । 

करता हवश शिकार, नहीं कामुक घबराते । 

 

 

जिन्सी ताल्लुकात, तरक्की करता भारत । 

शादी बिन बारात, बिचारी अब भी औरत ॥

3 comments:

  1. बेहद प्रभाव साली रचना और आपकी रचना देख कर मन आनंदित हो उठा बहुत खूब

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

    .

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  2. बिलकुल सही कहा आपने बिलकुल सही कहा आपने
    latest postअहम् का गुलाम (भाग एक )
    latest post होली

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  3. बिलकुल सही ....
    सादर !

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