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Monday, 11 March 2013

काटे पादप रोज, हरेरी ज्यादा भाये-

भाये ए सी की हवा, डेंगू मच्छर दोस्त ।

फल दल पादप काटते, काटे मछली ग़ोश्त ।


काटे मछली ग़ोश्त, बने टावर के जंगल ।

टूंगे जंकी टोस्ट, रोज जंगल में मंगल ।

खाना पीना मौज, मगन मनुवा भरमाये ।

काटे पादप रोज, हरेरी ज्यादा भाये ।।

2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ,आभार.

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