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Thursday, 7 March 2013

लगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी-

दादी दिल दिखता दुखित, द्रवित दिव्यतम तेज ।
देख पार्टी की दशा, रही लानतें भेज ।

रही लानतें भेज, किया था प्राण निछावर ।
सत्ता लोलुप लोग, चाहते केवल पावर ।

कल बेटा कुर्बान, टले पोते की शादी ।
लगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी ॥

4 comments:

  1. वहा बहुत खूब बेहतरीन

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में

    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

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  2. उम्दा हुज़ूर....बेतरीन प्रस्तुति |

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  3. BAHUT SUNDAR AAROP AUR DADI KI VYTHA BHI DARN HAI कल बेटा कुर्बान, टले पोते की शादी ।
    लगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी ॥

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  4. खुबसूरत बयां और विचार आपका!

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