दादी दिल दिखता दुखित, द्रवित दिव्यतम तेज ।
देख पार्टी की दशा, रही लानतें भेज ।
रही लानतें भेज, किया था प्राण निछावर ।
सत्ता लोलुप लोग, चाहते केवल पावर ।
कल बेटा कुर्बान, टले पोते की शादी ।
लगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी ॥
देख पार्टी की दशा, रही लानतें भेज ।
रही लानतें भेज, किया था प्राण निछावर ।
सत्ता लोलुप लोग, चाहते केवल पावर ।
कल बेटा कुर्बान, टले पोते की शादी ।
लगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी ॥
वहा बहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
उम्दा हुज़ूर....बेतरीन प्रस्तुति |
ReplyDeleteBAHUT SUNDAR AAROP AUR DADI KI VYTHA BHI DARN HAI कल बेटा कुर्बान, टले पोते की शादी ।
ReplyDeleteलगा वंश पर दाँव, दुखी हो जाए दादी ॥
खुबसूरत बयां और विचार आपका!
ReplyDelete