"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 29
मदिरा सवैया
"सेहत" से हत" भाग्य सखी सितकारत सेवत स्वामि सदा |
"कीमत" सेंदुर "की मत" पूछ, चुकावत किन्तु न होय अदा |
रंग गुलाल उड़ावत लोग उड़ावत रंग बढ़े विपदा |
लालक लाल लली लहरी लखिमी कय किस्मत काह बदा ??
दोहे
रंग रँगीला दे जमा, रँगरसया रंगरूट |
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट ||
*फगुआ गाने वाला पुरुष -
फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||
हुई लाल -पीली सखी, पी ली मीठी भांग |
अँगिया रँगिया रँग गया, रंगत में अंगांग ||
देख पनीले दृश्य को, छुपे शिशिर हेमंत ।
आँख गुलाबी दिख रही, पी ले तनि श्रीमंत ॥
तड़पत तनु तनि तरबतर, तरुनाई तति तर्क ।
लाल नैन बिन सैन के, अंग नोचते *कर्क ॥
*केकड़ा
मदिरा सवैया
नंग-धडंग अनंग-रती *अकलांत अनंद मनावत हैं ।
रंग बसंत अनंत चढ़ा शर चाप चढ़ाय चलावत हैं ।
लाल हरा हुइ जाय धरा नभ नील सफ़ेद दिखावत हैं ।
अंग अनेकन अर्थ भरे लुकवावत हैं रँगवावत हैं ॥
*ग्लानि-रहित
दोहे
रंग रँगीला दे जमा, रँगरसया रंगरूट |
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट ||
*फगुआ गाने वाला पुरुष -
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट ||
*फगुआ गाने वाला पुरुष -
फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||
हुई लाल -पीली सखी, पी ली मीठी भांग |
अँगिया रँगिया रँग गया, रंगत में अंगांग ||
अँगिया रँगिया रँग गया, रंगत में अंगांग ||
देख पनीले दृश्य को, छुपे शिशिर हेमंत ।
आँख गुलाबी दिख रही, पी ले तनि श्रीमंत ॥
तड़पत तनु तनि तरबतर, तरुनाई तति तर्क ।
लाल नैन बिन सैन के, अंग नोचते *कर्क ॥
*केकड़ा
मदिरा सवैया
नंग-धडंग अनंग-रती *अकलांत अनंद मनावत हैं ।
रंग बसंत अनंत चढ़ा शर चाप चढ़ाय चलावत हैं ।
लाल हरा हुइ जाय धरा नभ नील सफ़ेद दिखावत हैं ।
अंग अनेकन अर्थ भरे लुकवावत हैं रँगवावत हैं ॥
*ग्लानि-रहित
फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
ReplyDeleteरंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||
सुन्दर दोहे
सादर !
बहुत सुन्दर सटीक दोहे
ReplyDeletelatest postउड़ान
teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "
बहुत उम्दा सटीक और सार्थक प्रस्तुति | सादर आभार !
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