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Wednesday, 13 March 2013

लखिमी कय किस्मत काह बदा ??



"सेहत" से हत" भाग्य सखी सितकारत सेवत स्वामि सदा |

"कीमत" सेंदुर "की मत" पूछ, चुकावत किन्तु न होय अदा |

रंग गुलाल उड़ावत लोग उड़ावत रंग बढ़े विपदा |

लालक लाल लली लहरी लखिमी कय किस्मत काह बदा ??

  दोहे
रंग रँगीला दे जमा, रँगरसया रंगरूट |
रंग-महल रँगरेलियाँ, *फगुहारा ले लूट ||
*फगुआ गाने वाला पुरुष -


फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||

हुई लाल -पीली सखी, पी ली मीठी भांग |
  अँगिया रँगिया रँग गया, रंगत में अंगांग ||


देख पनीले दृश्य को, छुपे शिशिर हेमंत ।
आँख गुलाबी दिख रही, पी ले तनि श्रीमंत ॥

तड़पत तनु तनि तरबतर, तरुनाई तति तर्क ।
लाल नैन बिन सैन के, अंग नोचते *कर्क ॥
*केकड़ा
 
मदिरा सवैया 
नंग-धडंग अनंग-रती *अकलांत अनंद मनावत हैं ।
रंग बसंत अनंत चढ़ा शर चाप चढ़ाय चलावत हैं ।  
लाल हरा हुइ जाय धरा नभ नील सफ़ेद दिखावत हैं ।
अंग अनेकन अर्थ भरे लुकवावत हैं रँगवावत  हैं ॥
*ग्लानि-रहित

3 comments:

  1. फ़गुआना फब फब्तियां, फन फ़नकार फनिंद |
    रंग भंग भी ढंग से, नाचे गाये हिन्द ||

    सुन्दर दोहे
    सादर !

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  2. बहुत सुन्दर सटीक दोहे
    latest postउड़ान
    teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "

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  3. बहुत उम्दा सटीक और सार्थक प्रस्तुति | सादर आभार !

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