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Thursday, 14 March 2013

मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा-

(1)
लड़का कालेज छोड़ता, भाँप रिस्क आसन्न |
क्लास-मेट को हर समय, करना पड़े प्रसन्न |

करना पड़े प्रसन्न, धौंस हर समय दिखाती |
काला चश्मा डाल,  केस का भय दिखलाती |

है इसका क्या तोड़, रोज देती हैं हड़का |
लूंगा आँखे फोड़, आज बोल है लड़का ||
(2)

बेटा भूलो नीति को, काला चश्मा डाल । 
दुनिया के करते चलो, सारे कठिन सवाल । 

 
सारे कठिन सवाल, भोग सहमति से करना । 
पूछ उम्र हर हाल, नहीं तो करना भरना । 

संस्कार जा भूल, पडेगा नहीं चपेटा । 
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा ॥ 

 घनाक्षरी 
 सहमति संभोग हैं ,  बेशर्म बड़े लोग हैं -
पतनोमुखी योग हैं,  कानून ले आइये । 

अठारह से घटा के,  तो सोलह में पटा  के 
नैतिकता को हटा के, संस्कार भुलाइये । 

 लडको की आँख फोड़, करें नहीं जोड़ तोड़ 
कानून का है निचोड़,  रस्ता भूल जाइये । 

नीति सत्ताधारियों की,  जान सदाचारियों की,  । 
"लाज आज नारियों की, देश में बचाइये ।


9 comments:



  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रिया आपकी टिपण्णी का

    सोलह साल की उम्र में किशोरियां शारीरिक रूप से अपूर्ण होतीं हैं .विकास का सौपान २ १ बरस है .अविवाहित किशोरी माँ पैदा होंगी इस कदम से जबकि आज परिवेश ज्यादा उघाड़ा नंगा है .एक्सपोज़र भी ज्यादा है .

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  2. बहुत सुन्दर ,सटीक रचना
    latest postउड़ान
    teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "

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  3. वाह जी वाह | गुरुवर आज के युग में नैतिकता का कोई मूल्य नहीं | तो आप सरकार से कैसे ऐसी आशा रख सकते हैं जो वैसे भी ज़न्खों और फिरंगियों और कट्टरवादियों से भरी हुई हैं और कुछ गंदे लोगों के द्वारा नचाई जाती है |

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  4. समसामयिक दोहे एवं घनाक्षरी...लाजवाब....यथार्थ का सटीक चित्रण...

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  5. बहुत सुन्दर रचना

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  6. बहुत खूब , ऐसे कामों के तो हमारी सरकार के पास टाइम ही टाइम है। ज्यादातर ऐसे कारनामे भी इनकी ही बिगडैल औलादों के सामने आते है।

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  7. वाह खूब कही,
    अच्छी खूबसूरत रचना

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  8. नैतिकता, संस्कार...

    आपकी रचनाएं अमूल्य हैं कविवर !

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  9. लाजवाब , कविवर,गुरुवर,रविवर

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