जीवमातृका पञ्च कन्या तो बचा ||
जीवमातृका वन्दना, माता के सम पाल |
जीवमंदिरों को सुगढ़, करती सदा संभाल ||
शिव और जीवमातृका
धनदा नन्दा मंगला, मातु कुमारी रूप |
बिमला पद्मा वला सी, महिमा अमिट-अनूप ||
भ्रूण-हत्या
माता करिए तो कृपा, सातों में से एक |
भ्रूणध्नी माता-पिता, देते असमय फेंक ||
भ्रूण-हत्या
कुन्ती तारा द्रौपदी, लेशमात्र न रंच |
आहिल्या-मन्दोदरी , मिटती कन्या-पञ्च |
पन्च-कन्या
सातों माता भी नहीं, बचा सकी गर पाँच |
सबकी महिमा पर पड़े, मातु दुर्धर्ष आँच |
सातों माता भी नहीं, बचा सकी गर पाँच |
ReplyDeleteसबकी महिमा पर पड़े, मातु दुर्धर्ष आँच
....माताओं की महिमा न्यारी है...सुन्दर भाव!...आभार!
धन्यवाद कविवर ,
ReplyDeleteयह रचना आवश्यकता है समाज की ! आभार आपका !
भ्रूण हत्या से घिनौना ,
पाप क्या कर पाओगे !
नन्ही बच्ची क़त्ल करके ,
ऐश क्या ले पाओगे !
जब हंसोगे, कान में गूंजेंगी,उसकी सिसकियाँ !
एक गुडिया मार कहते हो कि, हम इंसान हैं !
भाव मय ... हर दोहा गहरा अर्थ लिए ...
ReplyDelete