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Sunday, 15 April 2012

भ्रूणध्नी माता-पिता, देते असमय फेंक-

जीवमातृका पञ्च कन्या तो बचा ||

जीवमातृका  वन्दना, माता  के  सम पाल |
जीवमंदिरों को सुगढ़, करती सदा संभाल ||
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/6/61/Stone_sculpt_NMND_-20.JPG 
शिव और जीवमातृका

धनदा  नन्दा   मंगला,   मातु   कुमारी  रूप |
बिमला पद्मा वला सी, महिमा अमिट-अनूप ||
https://lh3.googleusercontent.com/-ks78KCkMJR4/Tj_QMkR5FTI/AAAAAAAAAPI/PFy_h6xRHYY/bhrun-hatya_417408824.jpg
भ्रूण-हत्या
माता  करिए  तो  कृपा, सातों  में  से  एक |
भ्रूणध्नी माता-पिता,  देते असमय फेंक ||
http://aditikailash.jagranjunction.com/files/2010/06/bhrun-hatya.jpg
भ्रूण-हत्या 
कुन्ती   तारा   द्रौपदी,  लेशमात्र   न   रंच |
आहिल्या-मन्दोदरी , मिटती कन्या-पञ्च |
http://www.barodaart.com/Oleographs%20Mythology/PanchKanya-M(1).jpg
पन्च-कन्या
सातों  माता  भी  नहीं, बचा  सकी  गर  पाँच |
सबकी महिमा  पर  पड़े,  मातु  दुर्धर्ष  आँच |

3 comments:

  1. सातों माता भी नहीं, बचा सकी गर पाँच |
    सबकी महिमा पर पड़े, मातु दुर्धर्ष आँच

    ....माताओं की महिमा न्यारी है...सुन्दर भाव!...आभार!

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  2. धन्यवाद कविवर ,
    यह रचना आवश्यकता है समाज की ! आभार आपका !

    भ्रूण हत्या से घिनौना ,
    पाप क्या कर पाओगे !
    नन्ही बच्ची क़त्ल करके ,
    ऐश क्या ले पाओगे !
    जब हंसोगे, कान में गूंजेंगी,उसकी सिसकियाँ !
    एक गुडिया मार कहते हो कि, हम इंसान हैं !

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  3. भाव मय ... हर दोहा गहरा अर्थ लिए ...

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