नथुनी मिली सुनार से, गाये नित गुणगान ।
भूली प्रभु को जो दिया, सुन्दर काया दान ।
सुन्दर काया दान , नाक से नथुनी सोहे ।
सोहे सदा सुनार, भुलाई फिरती मोहे ।
रविकर नकटी होय, लगे तू इकदम भुतनी ।
प्रकट करो आभार, पहन सकती जो नथुनी ।।
भूली प्रभु को जो दिया, सुन्दर काया दान ।
सुन्दर काया दान , नाक से नथुनी सोहे ।
सोहे सदा सुनार, भुलाई फिरती मोहे ।
रविकर नकटी होय, लगे तू इकदम भुतनी ।
प्रकट करो आभार, पहन सकती जो नथुनी ।।
आपका यह अंदाज भी भाया।
ReplyDeleteनाता नार सुनार का , ज्यों भादों की धूप
ReplyDeleteतब तक इसे निभाइये,जब तक दमके रूप
जब तक दमके रूप,बाद बस प्रभु ही भावे
नथुनी जाते भूल, सभी को 'नाक' सुहावे
ऊँची सुंदर नाक , सभी को मिले विधाता
लम्बी पाये उम्र , नाक-नथुनी का नाता.
मीठी - रसवंती बड़ी , मिली जलेबी प्रात
हर दिन प्रात: कीजिये,यूँ रस के बरसात.
यूँ रस की बरसात, साथ में गर पोहा हो
खूब नाश्ता करें , कुँडलिया या दोहा हो
भाव-कढ़ाही चढ़े , जले मन की अंगीठी
मिले जलेबी प्रात , बड़ी रसवंती - मीठी.
नाता नार सुनार का , ज्यों भादों की धूप
ReplyDeleteतब तक इसे निभाइये,जब तक दमके रूप
जब तक दमके रूप,बाद बस प्रभु ही भावे
नथुनी जाते भूल, सभी को 'नाक' सुहावे
ऊँची सुंदर नाक , सभी को मिले विधाता
लम्बी पाये उम्र , नाक-नथुनी का नाता.
मीठी - रसवंती बड़ी , मिली जलेबी प्रात
हर दिन प्रात: कीजिये,यूँ रस के बरसात.
यूँ रस की बरसात, साथ में गर पोहा हो
खूब नाश्ता करें , कुँडलिया या दोहा हो
भाव-कढ़ाही चढ़े , जले मन की अंगीठी
मिले जलेबी प्रात , बड़ी रसवंती - मीठी.
यह रचना अनोखी है!...सुन्दर शब्दों का अलंकार!
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