मरने से जीना कठिन, पर हिम्मत न हार ।
कायर भागे कर्म से, होय कहाँ उद्धार ।
होय कहाँ उद्धार, चलो पर-हित कुछ साधें ।
बनिए नहीं लबार, गाँठ जिभ्या पर बांधें ।
फैले रविकर सत्य, स्वयं पर जय करने से ।
जियो लोक हित मित्र, मिले न कुछ मरने से ।
जियो लोक हित मात्र ..वाह क्या बात है !
ReplyDeleteतुलसी बाबा भी कह गए हैं -परहित सरिस धर्म नहीं भाई !
अरे कुछ जौनपुरी इमरतियाँ भी हों जायं :)
मरने से जीना कठिन, पर हिम्मत न हार ।100%sahmat......marna to aasan kam hai par jeena ? not a simple task....
ReplyDeleteआया जो लेकर यहाँ , वह ले जाये साथ
ReplyDeleteतू मस्ती में जी यहाँ , खपा न अपना माथ
खपा न अपना माथ, किये जा बस परमारथ
जीवन है अनमोल , न करना इसे अकारथ
जो मिलता है बाँट , साथ में क्या था लाया
कुछ ना तेरा माल , यहाँ जो लेकर आया.