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Friday, 8 June 2012

डाक्टर गर नाराज, हुए भगवन के प्यारे-

बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात |
अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |

मुफ्त मिली सौगात, डाक्टर हों या भगवन |
करिए मत नाराज, कभी दोनों को श्रीमन |

भगवन गर नाराज, पड़े डाक्टर के द्वारे |

डाक्टर गर नाराज, हुए भगवन के प्यारे||

4 comments:

  1. डॉक्टर भले ही नाराज हो,नर्स को नाराज मत करिएगा...
    नर्स गर नाराज हुई,तो हंसने का सबब कहाँ से पाइएगा?

    ....???

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  2. भगवान से डॉक्टर बचाए,डॉक्टर से कौन ...?

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  3. हकीकत बयाँ कर दी .

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  4. भाई रविकर जी फैजाबादी लेखन के प्रति आपके समर्पण और प्रति -बढता को सलाम बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात |
    अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात |
    गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात |
    ram ram bhai
    बुधवार, 13 जून 2012
    हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
    हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं


    पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात ,गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात --|-भाई रविकर जी फैजाबादी
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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