बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात |
अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |
अट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |
मुफ्त मिली सौगात, डाक्टर हों या भगवन |
करिए मत नाराज, कभी दोनों को श्रीमन |
भगवन गर नाराज, पड़े डाक्टर के द्वारे |
डाक्टर गर नाराज, हुए भगवन के प्यारे||
डॉक्टर भले ही नाराज हो,नर्स को नाराज मत करिएगा...
ReplyDeleteनर्स गर नाराज हुई,तो हंसने का सबब कहाँ से पाइएगा?
....???
भगवान से डॉक्टर बचाए,डॉक्टर से कौन ...?
ReplyDeleteहकीकत बयाँ कर दी .
ReplyDeleteभाई रविकर जी फैजाबादी लेखन के प्रति आपके समर्पण और प्रति -बढता को सलाम बड़ा मस्त अंदाज है, सीधी साधी बात |
ReplyDeleteअट्ठाहास यह मुक्त है, मुफ्त मिली सौगात |
कृपया यहाँ भी पधारें -
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात |
गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात |
ram ram bhai
बुधवार, 13 जून 2012
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात ,गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात --|-भाई रविकर जी फैजाबादी
http://veerubhai1947.blogspot.in/