Followers

Sunday, 24 June 2012

घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम-

कमल का तालाब

देवेन्द्र पाण्डेय 
स्थानः काशी हिंदू विश्व विद्यालय समयः 25-06-2012 की सुबह फोटूग्राफरः देवेन्द्र पाण्डेय।
कमल-कुमुदनी से पटा, पानी पानी काम ।
घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम ।
 
मीन चुकाती दाम, बिगाड़े काई कीचड़ 
रहे फिसलते रोज, काईंया पापी लीचड़ ।
 
किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त  हो रहे ।
भौरे की बारात, पतंगे धैर्य खो  रहे ।।

8 comments:

  1. मीन चुकाती दाम, बिगाड़े काई कीचड़ ।

    बहुत खूब ...
    और फिर देवेन्द्र जी की फोटोग्राफी क्या कहने

    ReplyDelete
  2. किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त हो रहे ।
    भौरे की बारात, पतंगे धैर्य खो रहे ।।
    वाह बहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सजी गहन भाव अभिव्यक्ति ...

    ReplyDelete
  3. किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त हो रहे ।
    भौरे की बारात, पतंगे धैर्य खो रहे ।।
    बहुत बढ़िया काव्यात्मक अंजलि . वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन -४८ १८८ ,यू एस ए .

    ReplyDelete
  4. .गहन भाव.. सुन्दर पंक्तियाँ ..

    ReplyDelete
  5. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!

    ReplyDelete
  6. waah man khush ho gaya chitra bhi acche kavita bhi acchi ....

    ReplyDelete