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Thursday, 21 June 2012

हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं-

त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।


सरल समस्या-पूर्ति
, पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।

 
निभा रही दायित्व, किन्तु अधिकार घटे हैं ।
  हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।

6 comments:

  1. बहुत सही मुद्दा उठाया है...पर अभी तक कोई नहीं आया है !

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  2. संतोष त्रिवेदी से पूँछिये ...परेशान हो रहे हैं !

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  3. त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
    दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति । काश बने वह भी माया ,लगवाए अपनी मूर्ती , .कृपया यहाँ भी पधारें -


    बृहस्पतिवार, 21 जून 2012
    सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन
    सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन

    .

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  4. सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
    आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
    sundar rachna !

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  5. सदा हृदय को सालता , कैसे पाये भाग
    ना हिस्से बलिदान है, ना हिस्से है त्याग
    ना हिस्से है त्याग,जनम ये हुआ अकारथ
    त्यागी तृष्णा भूख,त्याग कर डाला स्वारथ
    मूक दृष्टि से आज निहारे नीड़-निलय को
    कैसे पाये भाग , सालता सदा हृदय को ||

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  6. सार्थक रचना....बधाई...

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