त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।
सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।
सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
निभा रही दायित्व, किन्तु अधिकार घटे हैं ।
हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
बहुत सही मुद्दा उठाया है...पर अभी तक कोई नहीं आया है !
ReplyDeleteसंतोष त्रिवेदी से पूँछिये ...परेशान हो रहे हैं !
ReplyDeleteत्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
ReplyDeleteदफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति । काश बने वह भी माया ,लगवाए अपनी मूर्ती , .कृपया यहाँ भी पधारें -
बृहस्पतिवार, 21 जून 2012
सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन
सेहत के लिए उपयोगी फ़ूड कोम्बिनेशन
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सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
ReplyDeleteआश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
sundar rachna !
सदा हृदय को सालता , कैसे पाये भाग
ReplyDeleteना हिस्से बलिदान है, ना हिस्से है त्याग
ना हिस्से है त्याग,जनम ये हुआ अकारथ
त्यागी तृष्णा भूख,त्याग कर डाला स्वारथ
मूक दृष्टि से आज निहारे नीड़-निलय को
कैसे पाये भाग , सालता सदा हृदय को ||
सार्थक रचना....बधाई...
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