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Saturday 27 October 2012

खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है-

यूँ तो मुहब्बत किया जान देकर-
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |

अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||

तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||

गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
 सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||

दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||

3 comments:

  1. वाह वाह वाह वाह रविकर सर गज़ब ढा दिया आपने, लाजवाब लख-2 बधाइयाँ....जय हो आपकी....

    तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
    जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||

    दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
    जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||

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  2. मोहब्बत की बातें,तड़फना यूँ मरना
    ये रविकर का अंदाज,भाया बहुत है ||

    वो अमृत की बूँदें,ये जिद्दीपना उफ्
    मिले ना मिले,इनका साया बहुत है ||

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  3. खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है-
    यूँ तो मुहब्बत किया जान देकर-
    मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |

    अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
    खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||

    तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
    जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||

    गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
    सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||

    दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
    जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
    Posted by रविकर at 22:35 2 comments:
    बहुत बढ़िया अंदाज़ हैं आपके .

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