सुंदरी सवैया
उगती जब नागफनी दिल में, मरुभूमि बबूल समूल सँभाला ।बरसों बरसात नहीं पहुँची, धरती जलती अति दाहक ज्वाला ।उठती जब गर्म हवा तल से, दस मंजिल हो भरमात कराला ।पढ़ती तलिबान प्रशासन में, डरती लड़की नहीं वीर मलाला ।। |
मत्तगयन्द सवैया
विषकुम्भम पयोमुखम
बाहर की तनु सुन्दरता मनभावन रूप दिखे मतवाला ।साज सिँगार करे सगरो छल रूप धरे उजला पट-काला ।मीठ विनीत बनावट की पर दंभ भरी बतिया मन काला ।
दूध दिखे मुख रूप सजे पर घोर भरा घट अन्दर हाला ।।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!