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Friday, 12 October 2012

तालिबानी फरमान न मानने वाली छात्रा बिटिया मलाला को समर्पित -



सुंदरी सवैया

उगती जब नागफनी दिल में, मरुभूमि बबूल समूल सँभाला ।

बरसों बरसात नहीं पहुँची, धरती जलती अति दाहक ज्वाला ।

उठती जब गर्म हवा तल से, दस मंजिल हो भरमात कराला ।

पढ़ती तलिबान प्रशासन में, डरती लड़की नहीं वीर मलाला ।।



 मत्तगयन्द सवैया 
 विषकुम्भम पयोमुखम 

बाहर की तनु सुन्दरता मनभावन रूप दिखे मतवाला । 

साज सिँगार करे सगरो छल रूप धरे उजला पट-काला ।

मीठ विनीत बनावट की पर दंभ भरी बतिया मन काला ।

दूध दिखे मुख रूप सजे पर घोर भरा घट अन्दर हाला ।। 

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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