रविकर-पुंज
Followers
Tuesday, 9 October 2012
कुल रचना घर-द्वार को, चाटे दीमक-चाव-
समाचार
नगर गुलाबी का खतम, एक समूचा गाँव ।
कुल रचना घर-द्वार को, चाटे दीमक-चाव ।
चाटे दीमक-चाव, वहां हडकंप मच गया ।
होता नहीं अघाव, आदमी मगर बच गया ।
देखूं कई प्रकार, देश पर दीमक हॉवी ।
चुकी चाट अलमस्त, आज अब नगर गुलाबी ।।
1 comment:
virendra sharma
9 October 2012 at 07:39
मार्मिक प्रसंग प्रस्तुति .
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मार्मिक प्रसंग प्रस्तुति .
ReplyDelete