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Tuesday, 9 October 2012

कुल रचना घर-द्वार को, चाटे दीमक-चाव-

 समाचार 
नगर गुलाबी का खतम, एक समूचा गाँव ।
कुल रचना घर-द्वार को, चाटे दीमक-चाव ।

चाटे दीमक-चाव, वहां हडकंप मच गया ।
होता नहीं अघाव, आदमी मगर बच गया ।

देखूं कई प्रकार, देश पर दीमक हॉवी  ।
चुकी चाट अलमस्त, आज अब नगर गुलाबी ।।

1 comment:

  1. मार्मिक प्रसंग प्रस्तुति .

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