खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
कौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
खर्चे कम बाला नशीं = वीरु भाई व्याख्या कर दें कृपया ।।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे
ReplyDeletesays everything
nice poem
एक्टर अजीत अपने गुर्गे रॉबर्ट से, "रॉबर्ट, इस मैंगो मैन को मेरी बनाना इस्टेट में गाड़ दो. इसकी असलीयत भी बनी रहेगी और बनाना स्टेट का स्वाद भी चख लेगा."
ReplyDeleteखर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
ReplyDeleteकौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
खर्चे कम बाला नशीं = वीरु भाई व्याख्या कर दें कृपया ।।
सत्ता का सिक्का चलता है ,
सांसद संसद में बिकता है ,
बे -इज्ज़त कुर्सी को पकडे है ,
जीजे की सरकार ,
भजमन हरी हरी .
हाँ भाई साहब कम खर्च बाला नशीं का मतलब वाही है जो हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा का निकलता है ,.
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट -
TUESDAY, 16 OCTOBER 2012
खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद-
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