करेर कलेजा ।
सन्देश भेजा ।।
खफा मोहब्बत-
आहें सहेजा ।।
सह ले सताना-
गजलें कहे जा ।।
पिघलती चाहें-
रौ में बहे जा ।।
"रविकर" अँधेरा -
दीपक गहे जा ।।
दुर्जन छवि हित किन्तु है, काफी एक विवाद-
दोहे
सज्जन सी छवि पा गया, कर शत सत-संवाद ।
दुर्जन छवि हित किन्तु है, काफी एक विवाद ।।
आदिकाल की नग्नता, गई आज शरमाय ।
परिधानों में पापधी , नंगा-लुच्चा पाय ।।
लम्बी लम्बी बतकही, लम्बी लम्बी छोड़ ।
हँस हँस कर लम्बा हुआ, होवे पेट मरोड़ ।।
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क्या बात है!!
ReplyDeletewaah ....
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