दोहे
शत्रु-शस्त्र से सौ गुना, संहारक परिमाण ।
शब्द-वाण विष से बुझे, मित्र हरे झट प्राण ।।
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हर बाला इक वंश है, फूले-फले विशाल |
होवे देवी मालिनी, हरी भरी हर डाल ||
करते मटियामेट शठ, नीति नियंता नोच ।
जांचे कन्या भ्रूण खलु, मारे नि:संकोच ।।
काँव काँव काकी करे, काकचेष्टा *काकु ।
करे कर्म कन्या कठिन, किस्मत कुंद कड़ाकु ।।
*दीनता का वाक्य |
औरन की फुल्ली लखैं , आपन ढेंढर नाय
ऐसे मानुष ढेर हैं, चलिए सदा बराय||
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पीड़ा बेहद जाय बढ़, अंतर-मन अकुलाय ।
जख्मों की तब नीलिमा, कागद पर छा जाय । |
*ताली मद माता मनुज, पाय भोगता कोष ।
पिए झेल अवहेलना, किन्तु बजाये जोश ।।
ताड़ी / चाभी / करतल ध्वनि
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औरन की फुल्ली लखैं , आपन ढेंढर नाय
ReplyDeleteऐसे मानुष ढेर हैं, चलिए सदा बराय||
hr doha apne ap me lajbab lga Ravi bhai . Sadar abhar