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Wednesday 17 October 2012

गए खोजने गडरिया, बहेलिया मिल जाए-रविकर

गए खोजने गडरिया, बहेलिया मिल जाए |
उग्र केजरी लोमड़ी, तीरों से हिल जाए |

तीरों से हिल जाए , फुलझड़ी निकला गोला |
फुस फुस दे करवाए, व्यर्थ ही हल्ला बोला |

सदाचार केजरी, अल्पमत सच्चे वोटर |
बनवाएं सरकार, बटेरें तीतर मिलकर ।।

घोटा जा सकता नहीं, कह बेनी अपमान ।
बड़े खिलाड़ी बेंच पर, रे नादाँ सलमान ।
रे नादाँ सलमान, जहाँ अरबों में खेले ।
अपाहिजी सामान, यहाँ तू लाख धकेले ।
इससे अच्छा बेंच, धरा पाताल गगन को ।
हो बेनी को  गर्व, बेंच दे अगर वतन को ।।

खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
कौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
 

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