सलमान मियाँ अब जान दिया, जब लाख करोड़ मिला विकलांगी ।
अब जाकिर सा शुभ नाम बिका, खुरशीद दगा दबता सरवांगी ।
वडरा कचरा कल झेल गया, अखरा अपना लफड़ा एकांगी ।
असहाय शरीर रहा अकुलाय चुरा सब खाय गया हतभागी ।।
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नव-कथा (60 शब्द): सब विकलांग ख़तम-पैसा हजम
वजीर सलमान अपनी जान अपनी जमीदारिन पर न्यौछावर करने का जज्बा रखता है-
उसने दस साल पहले अपने नाना जाकिर के नाम पर एक अस्पताल खोला था विकलांगों के लिए -
जमींदार सरदार खान ने एक बोरा अशर्फियाँ दान दे दी इस भले काम के लिए- अब पता चला है कि उसकी जमीदारी में -
सब विकलांग ख़तम-पैसा हजम ।।
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निरवंशी नवाब : नव-कथा (100 शब्द)
नजफगढ़ के नवाब गुलाब गोदी गुरिल्ला युद्ध में मारे गए । शहजादी परीजाद की शादी रुहेले सरदार रोबे खान से हुई ही थी कि परीजाद की ननद की घोड़े से गिरकर मौत हो गई । उसका इकलौता देवर भी पानीपत के मैदान में डूब मरा। सरदार के अब्बू की रहस्यमय-परिस्थिति में मौत हो चुकी है -अब सास एवं पति के साथ वह अपनी रियासत की उन्नति में लगी हुई है -दिन हजार गुनी, रात लाख गुनी |
शायद नजफ़गढ़ पर भी शहजादी की नीयत खराब है- तभी तो 45 साल की उम्र में भी इसका भाई शहजादा असलीम कुँवारा है -
कुँवारे के भांजा-भांजी ही मारेंगे भाँजी-
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वाह रविकर सर क्या बात है उम्दा
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteतीसरी पंक्ति को और कसो, हतभागी भी अखरता है ।
अच्छा प्रयास कोशिश जारी रखे,,,,
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