यूँ तो मुहब्बत किया जान देकर-
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |
अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||
तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |
अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||
तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
वाह वाह वाह वाह रविकर सर गज़ब ढा दिया आपने, लाजवाब लख-2 बधाइयाँ....जय हो आपकी....
ReplyDeleteतड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
मोहब्बत की बातें,तड़फना यूँ मरना
ReplyDeleteये रविकर का अंदाज,भाया बहुत है ||
वो अमृत की बूँदें,ये जिद्दीपना उफ्
मिले ना मिले,इनका साया बहुत है ||
ReplyDeleteखिला गम को, पानी पिलाया बहुत है-
यूँ तो मुहब्बत किया जान देकर-
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |
अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||
तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
Posted by रविकर at 22:35 2 comments:
बहुत बढ़िया अंदाज़ हैं आपके .