तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।।
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बोल अब तो-बा-शिंदे-रविकर
बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम ।
सरल हृदय अपना बना, देखे उनमें राम ।
देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।
पाले हिन्दुस्थान, युगों से जीव-परिंदे ।
यह सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।
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सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ-
सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||
बढती मँहगाई गई, गाई गई प्रशस्ति |
मौतें होतीं भूख से, बने स्वयंभू स्वस्ति |
बनो सहारा नारों ना रो ||
डीजल भी जलने लगा, लगी रेल में आग |
वाह वाह अपनी करे, काँव काँव कर काग |
सावधान हो जाव शिकारों ||
चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||
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सत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा-
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प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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बहुत ही प्रभावशाली,एव सुन्दर प्रस्तुतीकरण।
ReplyDeleteहर विषय पर तीखा व्यंग प्रहार .-सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबनी रहे यह धार क़लम की 1
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