मत्त गयन्द सवैया का अभ्यास --
सीख रही जब वक्त सही तब निर्णय ले अपनी यह माया |
काजिन राम सिखाय गए कछु कौशल पाय गई सरमाया |
देश जले जब खूब खले, सरकार तपे नहिं हाथ हटाया |
कोरट से जब छूट नहीं तब वापस हाथ हटा भहराया |
दुर्मिल सवैया का अभ्यास -
सलमान मियाँ अब जान दिया, जब लाख करोड़ मिला विकलांगी ।
अब जाकिर सा शुभ नाम बिका, खुरशीद दगा दबता सरवांगी ।
वडरा कचरा कल झेल गया, अखरा अपना लफड़ा एकांगी ।
असहाय शरीर रहा अकुलाय चुरा सब खाय गया हतभागी ।।
श्री रविकरजी,
ReplyDeleteपता नहीं अब देशवासी ऐसे लोगों से कैसे पेश आए?