सत्ताइस सत्ता *इषुधि, छोड़े **विशिख सवाल ।
दिग्गी चच्चा खुश दिखे, तंग केजरीवाल।
*तरकस **तीर
तंग केजरीवाल, विदेशी दान मिला है ।
डालर गया डकार, यही तो बड़ी गिला है ।
करिए स्विस में जमा, माल सब साढ़े बाइस ।
सत्तइसा का पूत, प्रश्न दागे सत्ताइस ।।
गए खोजने गडरिया, बहेलिया मिल जाए-रविकर
गए खोजने गडरिया, बहेलिया मिल जाए |
उग्र केजरी लोमड़ी, तीरों से हिल जाए |
उग्र केजरी लोमड़ी, तीरों से हिल जाए |
तीरों से हिल जाए , फुलझड़ी निकला गोला |
फुस फुस दे करवाए, व्यर्थ ही हल्ला बोला |
सदाचार केजरी, अल्पमत सच्चे वोटर |
बनवाएं सरकार, बटेरें तीतर मिलकर ।।
घोटा जा सकता नहीं, कह बेनी अपमान ।
बड़े खिलाड़ी बेंच पर, रे नादाँ सलमान ।
रे नादाँ सलमान, जहाँ अरबों में खेले ।
अपाहिजी सामान, यहाँ तू लाख धकेले ।
इससे अच्छा बेंच, धरा पाताल गगन को ।
हो बेनी को गर्व, बेंच दे अगर वतन को ।। |
खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
कौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
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बेहद खूबसूरती से वर्णन किया है सर आपने, उम्दा लाजवाब रचना
ReplyDeleteजंग खोर के लिये जंग ही है,मुह तोड़ जबाब
ReplyDeleteआँख उठाएगा,वह हम पर जिसका भाग्य खराब,,,,,