कूड़ा-कचरा हर गली, चौराहों पर ढेर ।
घर में क्या कुछ कम पड़ा, ई-कचड़ा का फेर ।
ई-कचड़ा का फेर, फेर के नया खरीदें ।
निर्माता निपटाय, होंय ना कहीं उनींदे।
धरती रही पुकार, प्रदूषण का यह पचरा।
ई-खरदूषण रूप, दशानन कूड़ा-कचरा ।।
ई-कचड़ा से *ईति की, दिखे विश्व में भीति ।
ई से करिए ईषणा, छोड़ दीजिये प्रीति ।
छोड़ दीजिये प्रीति, बड़े जहरीले अवयव ।
कर तब तक उपयोग, करें जब तक शुभ कलरव ।
सारे विकसित देश, डस्ट-विन हमको समझें ।
या सागर में फेंक, सदा कुदरत से उलझें ।
*झगड़ा
रविकर सर बेहद उम्दा रचना बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteकभी- कभी सर के ऊपर से जाता है भाई !
ReplyDeleteइलेक्ट्रानिक कचड़ा का पचड़ा है-
Deleteईति = लड़ाई झगडा
फेर -वापस करना / चक्कर
उनीदें = नींद में
अवयव =कम्पोनेंट
कलरव =स्वर / चहचहाना
सुन्दर।
ReplyDeleteसमस्या मूलक बेहतरीन रचना है "ई -कचरा " रेडिओ धर्मी कचरे की तरह यह भी पृथ्वी के लिए भस्मासुर बन गया है .भाई साहब प्रयोग कूड़ा-करकट है कूड़ा -कचड़ा नहीं .कचरा प्रचलित है हिंदी में ,कचड़ा नहीं .
ReplyDeleteram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
ई-कचड़ा का फेर, फेर के नया खरीदें ।
ReplyDeleteनिर्माता निपटाय, होंय ना कहीं उनीदें ।.......उनींदे .....भाई साहब प्रयोग उनींदु ,निद्रालु ,उनींदे ,उनींदापन है .उनीदें तो उनिदेन पढ़ा जाएगा .
समस्या मूलक बेहतरीन रचना है "ई -कचरा " रेडिओ धर्मी कचरे की तरह यह भी पृथ्वी के लिए भस्मासुर बन गया है .भाई साहब प्रयोग कूड़ा-करकट है कूड़ा -कचड़ा नहीं .कचरा प्रचलित है हिंदी में ,कचड़ा नहीं
ReplyDeleteram ram bhai
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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
ram ram bhai
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सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
ई-कचरे केलिये सख़्त नियम लागू करना चाहिये !
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