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Saturday, 29 September 2012

ब्लॉग-वर्ल्ड अभि-जात, हकाले ऊल-जुलूली-


 मूली हो किस खेत की, क्या रविकर औकात ?
तुकबन्दी क्या सीख ली, भूला अपनी जात ।

भूला अपनी जात, फटाफट छान जलेबी ।
कहाँ कुंडली मार, डराता बाबा-बेबी ।

ब्लॉग-वर्ल्ड अभि-जात,  हकाले ऊल-जुलूली ।
उटपटांग कुल कथ्य, शिल्प बेहद मामूली ।। 

3 comments:

  1. ब्लॉग-वर्ल्ड अभि-जात, हकाले ऊल-जुलूली ।
    उटपटांग कुल कथ्य, शिल्प बेहद मामूली ।।
    क्या कहने ! आपकी अभिव्यक्ति है या मेरी अनुभूति ?

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  2. रविकर जी की तुकबंदी
    दमादम मस्त मस्त.

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