काँव काँव काकी करे, काकचेष्टा *काकु ।
*दीनता का वाक्य
आठ आठ आंसू बहे, रोया बुक्का फाड़ ।
बोझिल बापू चल बसा, भूल पुरानी ताड़ ।।
हुई विमाता बाम तो, करती बिटिया काम ।
शुल्क नहीं शाला जमा, कट जाता है नाम ।।
रविकर बचिया फूल सी, खेली "झाड़ू-फूल" ।
झेले "झाड़ू-नारियल", झाड़े करकट धूल ।।
(फूल-झाड़ू -घर के अन्दर प्रयुक्त की जाती है । नारियल झाड़ू बाहर की सफाई के लिए।)
बढ़नी कूचा सोहनी, कहें खरहरा लोग ।
झाड़ू झटपट झाड़ दे, यत्र-तत्र उपयोग ।।
सोनी *सह न सोहती, बड़-सोहनी अजीब ।
**दंड *सहन करना पड़े, झाड़ू मार नसीब ।।
*यमक
**श्लेष
(कुंडलियां)
दीखे *झाड़ू गगन में, पुच्छल रहा कहाय ।
इक *झाड़ू सोनी लिए, उछल उछल छल जाय ।
उछल उछल छल जाय, भाग्य पर झाड़ू *फेरे ।
*फेरे का सब फेर, विमाता आँख तरेरे ।
सत्साहस सद्कर्म, पाठ जीवन के सीखे ।
पाए बिटिया लक्ष्य, अभी मुश्किल में दीखे ।।
* फेरना / शादी के फेरे
ये दौर बड़ा हरजाई है ,
ReplyDeleteबेटियाँ यहाँ कुम्हलाई हैं ,
मुस्टंडों की बन आई है ,
सरकार नहीं परछाईं हैं .
शानदार प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता
ये सब ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा दे जाते हैं।
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