सिली सिलिंडर सनसनी, मेहरबान मक्कार |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार सरकार |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार सरकार |
अब प्रचार सरकार, पुरातन भोजन भूलो |
पाक कला त्यौहार, भूल कर केक कुबूलो |
फास्ट फूड भरमार, तरीके नए सोचिये |
पाई फुर्सत नारि, सतत अब नहीं कोंचिये ||
गैस सिलिंडर चलेगा पूरे दो महीने : है न उपाय-
दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
पाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा ।
चाय बना इक बार, डालिए हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।
आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो ।।
मा मू ली बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम, किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट, बने मुश्किल मामूली ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -
चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।
*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई
बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।
उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।
गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।
मँहगाई और भ्रष्टाचार की जुगलबंदी को आपने खूबसूरती से छंदबद्ध कर दिया है. बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteदादा बहुत आला !है !बधाई .
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए