एकलव्य ने दिया अंगूठा, खुद से हुआ अपंग ।
द्रोण सरीखे गुरू हमेशा हैं सत्ता के संग ।
द्रोण सरीखे गुरू हमेशा हैं सत्ता के संग ।
गिरगिटान सा रहे बदलते, शासक हरदम रंग ।
गाँव-राँव की विकट परिस्थिति, शिक्षक चिन्तक दंग ।
गाँव-राँव की विकट परिस्थिति, शिक्षक चिन्तक दंग ।
लैप-टॉप की टॉफी से कर रहे तपस्या भंग ।
अधकचरी यह चुकी व्यवस्था, करते शोषक तंग ।
अधकचरी यह चुकी व्यवस्था, करते शोषक तंग ।
घूम रही आधी आबादी, अब भी नंग धडंग ।
मानवता को लड़नी होगी फिर से तगड़ी जंग ।।
मानवता को लड़नी होगी फिर से तगड़ी जंग ।।
चन्द्रगुप्त देने को आतुर अपना अंग-प्रत्यंग ।
चाह एक चाणक्य बना ले, मुख्य धार का अंग ।
चाह एक चाणक्य बना ले, मुख्य धार का अंग ।
बढ़िया दोहे,,,,
ReplyDeleteपौराणिक पात्र कई-कई अर्थ देते हैं. तथापि आज कोई एकलव्य या चंद्रगुप्त उतना भोला नहीं रहा. बढ़िया दोहे.
ReplyDeleteघूम रही आधी आबादी, अब भी नंग धडंग ।
मानवता को लड़नी होगी फिर से तगड़ी जंग ।।
चन्द्रगुप्त देने को आतुर अपना अंग-प्रत्यंग ।
चाह एक चाणक्य बना ले, मुख्य धार का अंग ।
प्रखर आवाहन बदलाव का ,चिरकुटी रिमोटिया व्यवस्था को बदलने का ....बेहतरीन ललकार ....
नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
आधी दुनिया के लिए सम्पूरण -पूरी तरह स्वस्थ रहे आधी दुनिया इसके लिए ज़रूरी है देहयष्टि की बस थोड़ी ज्यादा निगरानी ,रखरखाव की ओर थोड़ा सा ध्यान और .बस पुष्टिकर तत्वों को नजर अंदाज़ न करें .सुखी स्वस्थ परिवार के लिए इन खुराकी सम्पूरकों पर थोड़ा गौर कर लें:
रविकर फैजाबादी
चुस्त धुरी परिवार की, पर सब कुछ मत वार |
देहयष्टि का ध्यान कर, सेहत घर-संसार |
सेहत घर-संसार, स्वस्थ जब खुद न होगी |
सन्तति पति घरबार, भला हों कहाँ निरोगी ?
संरचना मजबूत, हाजमा ठीक राखिये |
सक्रिय रहे दिमाग, पदारथ सकल चाखिये ||
आज 07/09/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत बढ़िया.....
ReplyDeleteसादर
अनु
nice
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